अमेरिका के बड़े स्टार्टअप में शुमार होने वाली कंपनी वीवर्क (WeWork) ने यूएस में दिवालिया घोषित होने के लिए आवेदन दिया है. कंपनी कोवर्किंग के लिए जगह उपलब्ध कराती थी, जहां कंपनियों के ऑफिस होते थे. मगर, कोविड-19 के दौरान दुनियाभर में हुए लॉकडाउन के चलते काम करने की परिस्थितियां बदलीं और वर्क फ्रॉम होम कल्चर ने वीवर्क की कमर तोड़ कर रख दी. हालत यह बनी कि अगस्त में कंपनी के शेयर शून्य पर पहुंच गए थे. 


अमेरिका और कनाडा के बाहर नहीं होगा असर 


वीवर्क ने चैप्टर 11 के तहत दिवालिया आवेदन करते हुए अपने कर्ज को कम करने तथा बैलेंस शीट को सुधारने के लिए पुनर्गठन प्रक्रिया शुरू की है. न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड वीवर्क के सीईओ डेविड टोली ने कहा कि अमेरिका और कनाडा के बाहर इस फैसले का ज्यादा असर नहीं होगा. इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में कंपनी को 69.6 करोड़ डॉलर का शुद्ध घाटा हुआ था. इसके चलते कंपनी पर दिवालिया होने का खतरा काफी दिनों से मंडरा रहा था. अगस्त में कंपनी ने इस कारोबार से हटने की आशंका जताई थी.


भारत में क्या होगा 


वीवर्क इंडिया में बेंगलुरु की रियल एस्टेट कंपनी एम्बैसी ग्रुप की 73 फीसद हिस्सेदारी है. इंडिया के 7 शहरों में कंपनी के 50 सेंटर हैं, जिनमें लगभग 90 हजार लोग एक साथ काम कर सकते हैं. वीवर्क इंडिया के सीईओ करण विरवानी ने कहा कि भारत में कंपनी का बिजनेस स्वतंत्र है. कंपनी यहां ब्रांड नेम भी इस्तेमाल करती रहेगी. अमेरिकी में वीवर्क ग्लोबल के दिवालिया होने से भारत में इसके बिजनेस पर ज्यादा असर नहीं होगा. 


कंपनी डूबी लेकिन को-फाउंडर की दौलत बढ़ी 


वीवर्क भले ही डूब गई हो लेकिन, कंपनी के पूर्व सीईओ और को-फाउंडर एडम न्यूमैन की दौलत बढ़ गई है. कंपनी के आईपीओ के दौरान न्यूमेन को भी 48 करोड़ डॉलर मिले थे. कंपनी से अलग होते समय भी वह लगभग 29 करोड़ डॉलर ले गए थे. आईपीओ के बाद से कंपनी के शेयर 99 प्रतिशत तक गिर चुके हैं. हालांकि, न्यूमैन ने उम्मीद जताई है कि कंपनी को सही रणनीति से दोबारा खड़ा किया जा सकता है.  


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