Weaken Rupee Disadvantages: बुधवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90 रुपये के पार चला गया, जो इसके अब तक का सबसे निचला स्तर है. रुपये के डॉलर के मुकाबले रुपया 90.13 के स्तर से नीचे लुढ़कने का मतलब है कि अब आपको एक डॉलर खरीदने के लिए 90 रुपये 13 पैसे खर्च करने होंगे.

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बेशक इसका असर हमारी और आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में भी देखने को मिलेगा क्योंकि इससे आयात महंगा हो जाएगा, जिससे कई सारी चीजों की कीमतें बढ़ जाएंगी. इसके अलावा, शेयर बाजार पर भी इस झटके से उथल-पुथल मच सकती है, विदेशों में पढ़ाई में ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे वगैरह. आइए देखते हैं रुपये में आई इस भारी गिरावट से किसे नफा और नुकसान होगा:-

क्या-क्या हो जाएगा महंगा?

  • जैसा कि पहले ही बताया गया कि रुपया गिरने से आयात महंगा हो जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लेनदेन के लिए डॉलर का इस्तेमाल होता है. यानी कि दूसरे देशों से मंगाने वाली चीजों का भुगतान डॉलर में करना होता है. ऐसे में जब रुपये की वैल्यू गिरेगी, तो हमें पहले के मुकाबले एक डॉलर के हिसाब से अधिक कीमत चुकानी होगी. जब चीजों की खरीद अधिक कीमत पर होगी, तो बाजार में बेचे भी ऊंचे दाम पर जाएंगे, जिसका असर आपकी जेब पर पड़ेगा. 
  • भारत अपनी जरूरत का 85 परसेंट से ज्यादा क्रूड ऑयल और 60 परसेंट से ज्यादा एडिबल ऑयल दूसरे देशों से खरीदता है. रुपये के कमजोर होने से इनके आयात पर सरकार को अधिक खर्च करने पड़ेंगे. ऐसे में ये और महंगे हो जाएंगे. इससे उन उद्योगों की भी लागत बढ़ जाएगी, जो कच्चे तेल और उससे बनने वाले प्रोडक्ट़्स पर निर्भर हैं. लिहाजा, खाना पकाने का तेल, LPG और पेट्रोल महंगे होंगे, तो इससे कम और मिडिल इनकम वाले परिवारों को अधिक दिक्कत होगी.
  • भारत में भले ही स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसी, फ्रीज का उत्पादन अधिक पैमाने पर होता है, लेकिन इनमें कई ऐसे पार्ट्स का इस्तेमाल होता है, जो बाहर से मंगाए जाते हैं. रुपये में कमजोर से इनकी भी कीमतें बढ़ेगी, जिससे ओवरऑल प्रोडक्ट महंगा हो जाएगा.
  • रुपये में आई गिरावट से विदेशों में पढ़ाई महंगी हो जाएगी क्योंकि पढ़ाई पर आने वाला खर्च उतना ही रहेगा, लेकिन रुपये के कमजोर होने से अब डॉलर खरीदने में ज्यादा खर्च करने होंगे. पहले 80 रुपये प्रति डॉलर के हिसाब से सालाना 50,000 डॉलर की ट्यूशन फीस भारतीय करेंसी के हिसाब से 40 लाख रुपये थी, लेकिन अब यह 45 लाख रुपये हो गई है. यानी कि सीधे-सीधे 5 लाख की बढ़ोतरी. यह रकम कई मिडिल क्लास परिवारों के लिए कई महीनों की सैलरी के बराबर है. रुपये में आई कमजोरी से एजुकेशन लोन भी महंगा हो जाएगा. अब चूंकि रुपया पहले के (एक डॉलर 80 रुपये के बराबर) आंकड़े को पार कर गया है इससे स्टूडेंट्स को भी 12–13 परसेंट ज्यादा EMI चुकानी होगी. 
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल से लेकर लग्जरी कारों पर भी इसका असर पड़ेगा क्योंकि लोकल लेवल पर इनका प्रोडक्शन कम होता है और अगर होता भी है, तो कई पार्ट्स विदेशों से मंगाए जाएंगे. इनका आयात महंगा होगा, तो बेचे जाने वाला उत्पाद भी महंगा हो जाएगा.
  • सोना और चांदी की भी कीमतें बढ़ने के आसार है क्योंकि भारत स्विटजरलैंड, यूएई, साउथ अफ्रीका, गिनी और पेरू जैसे देशों से बड़े पैमाने पर सोना खरीदता है. इसी तरह से भारत, चीन से लेकर हांगकांग, रूस और ब्रिटेन जैसे देशों से चांदी आयात करता है. रुपये के महंगे होने से इनका भी आयात महंगा होगा, ऐसे में सोने और चांदी के गहने और महंगे हो जाएंगे. 

क्यों गिरा रुपया? 

रुपये में आई इस गिरावट की कई वजहें हैं. इनमें से एक है अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता. भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर बात लंबे समय से अटकी हुई है. इसका रुपये पर असर पड़ा है. ऊपर से अमेरिका ने इंडियन एक्सपोर्ट पर 50 परसेंट टैरिफ भी लगा दिया है, जिससे करेंसी को बुरी तरह से प्रभावित किया है.

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मजबूत GDP ग्रोथ के बावजूद विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से मुंह मोड़ रहे हैं और यहां से पैसा निकालकर कहीं और लगा रहे हैं. साल 2025 में विदेशी निवेशकों ने अब तक भारतीय बाजारों से 17 अरब डॉलर से ज्यादा निकाल चुके हैं,  जिससे रुपये पर दबाव बढ़ गया है. RBI पॉलिसी में बदलाव का भी इस पर असर पड़ा रहा है.  इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने इंडिया के एक्सचेंज रेट सिस्टम को 'स्टेबलाइज्ड' से 'क्रॉल-लाइक' में रीक्लासिफाई किया है. इससे पता चलता है कि RBI अब रुपये को गाइड कर रहा है, गार्ड नहीं कर रहा. 

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