Srilanka Foreign Investment Policy: अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि श्रीलंका की फॉरेन इंवेस्टमेंट पॉलिसी स्थिर व समान नहीं है. यह अनावश्यक नियमों और नौकरशाही की खराब प्रतिक्रियाओं से घिरा हुआ है. साथ ही यह कानूनी रूप से भी अनिश्चित है.

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अमेरिका ने अपनी इस बात को रखते हुए अडानी ग्रुप के श्रीलंका में 40 करोड़ डॉलर की रिन्यूऐबल एनर्जी प्रोजेक्ट से हाथ खींचने का जिक्र किया. अपने 2025 इंवेस्टमेंट क्लाइमेट स्टेटमेंट्स ने अमेरिका विदेश विभाग ने कहा कि श्रीलंका 2022 के आर्थिक संकट से उबरने के संकेत दे रहा है और 2024 में देश की जीडीपी भी 5 परसेंट तक पहुंच गई, जो उम्मीदों से कहीं अधिक है, लेकिन निवेश का माहौल अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. 

इस बात को लेकर बनी है चिंता

राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके और उनके नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन की 2024 की चुनावी जीत के बाद राजनीतिक स्थिरता में सुधार के बावजूद यह स्थिति बनी हुई है. हालांकि, देश के 3 अरब अमेरिकी डॉलर के आईएमएफ कार्यक्रम के लिए एनपीपी के समर्थन ने कुछ निवेशकों को आश्वस्त किया है, लेकिन इसके ऐतिहासिक रूप से मार्क्सवादी और पश्चिम-विरोधी रुख को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं.

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क्या था अडानी का प्रोजेक्ट‌?

इस साल फरवरी में अडानी ग्रुप ने श्रीलंका में 442 मिलियन डॉलर (करीब 3800 करोड़ रुपये) यानी लगभग 36 अरब रुपये के विंड पावर प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींच लिए. AFP के डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, श्रीलंकाई अधिकारियों की ओर से समझौते में बदलाव की कोशिश के बाद अडानी ने प्रोजेक्ट से हटने का फैसला लिया.

बता दें कि अडानी ग्रीन एनर्जी बीते लगभग दो साल से श्रीलंका के मान्नार और पूनेर्यन में दो 484 मेगावाट (MW) के रिन्यूएबल एनर्जी विंड फार्म बनाने के लिए सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (CEB) और अन्य सरकारी विभागों के साथ बातचीत कर रही थी, लेकिन बाद में सहमति न बन पाने की वजह से प्रोजेक्ट को कैंसिल करना पड़ा. अडानी ग्रुप ने श्रीलंका के निवेश बोर्ड (BOI) को लिखे एक पत्र में कहा था कि इसमें सरकार के साथ अनबन होने जैसी कोई बात नहीं है, बस कुछ बातों पर सहमति नहीं बन पाई.

 

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