UP RERA: उत्तर प्रदेश रेरा कंसिलिएशन फोरम एक ऐसा मंच बन गया है जो राज्य में घर-जमीन खरीदारों और प्रमोटर्स के बीच के विवादों और जमीनी कानूनी मुद्दों को आसानी से हल कर रहा है. यूपी रेरा कंसिलिएशन फोरम आवंटियों और प्रोमोटर्स के संघ के सामूहिक प्रयास से घर खरीदार और प्रोमोटर के बीच विवादों का समाधान निकाला रहा है. दोनों पक्ष कंसिलिएशन फोरम में उनके किये गए समझौतों का स्वतः सम्मान करते हैं. आवंटन मिलने वालों को समझौते के जरिए समाधान लागू करने के लिए किसी आगे की प्रक्रिया से नहीं गुजरना होता है.


ग्रेटर नोएडा में कंसिलिएशन फोरम का ऑफिस बना


रेरा अधिनियम 2016 के लागू होने के बाद से रेरा में घर खरीदारों की शिकायतों की तुरंत सुनवाई और विवादों के आपसी समाधान के लिए नियामक प्राधिकरण की तरफ से रीजनल ऑफिस, ग्रेटर नोएडा में कंसिलिएशन फोरम बनाया गया है. इसकी मदद से प्रोमोटर और आवंटियों के बीच विवादों के समाधान के लिए मध्यस्थता बैठकों का आयोजन किया जाता है.


रेरा में दर्ज होने वाली कई शिकायतों में आवंटियों की तरफ से कब्जा/ पजेशन न मिलने और हो रहे देरी, लंबे समय से पेंडिंग ब्याज की मांग और उसकी कैलकुलेशन, प्रोमोटर द्वारा अंतिम मांग राशि में दिए गए खर्चों का सत्यापन और उसकी रीकैलकुलेशन जैसे मुद्दों को देखा जाता है. इसके अलावा लास्ट डिमांड अमाउंट का देरी से होने वाले ब्याज के मुद्दे, पार्किंग प्लेस का निर्धारण, तयशुदा तारीख से मेंटेंनेंस चार्ज जैसे विवाद भी हल कराए जाते हैं.


कैसे काम करता है यूपी रेरा


यूपी रेरा कंसिलिएशन फोरम में दोनों पक्षों, घर खरीदार और प्रोमोटर को एक मंच पर लाकर और उनकी बातों को सुनने के बाद विस्तार से चर्चा करके समाधान निकाला जाता है. इस प्रक्रिया में प्रोमोटर्स के संघ, क्रेडाई एनसीआर और क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के साथ घर खरीदारों के संघ-नेफोमा और नेफोवा के रीप्रेंजेटेटिव भी हिस्सा लेते है. एसोसिएशन दोनों पक्षों के मध्य आपसी तालमेल बनाकर एक उचित समाधान निकालने का प्रयास होता है. इसके अलावा एसोसिएशन के रीप्रेंजेटेटिव के जरिए उचित और अनुचित मांगों पर आपसी बात-चीत से समझौते कराए जाते हैं.


दिसंबर 2023 तक 1350 से ज्यादा मामलों का आपसी बातचीत से निपटारा


आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2019 से शुरू होकर दिसंबर 2023 तक एनसीआर कंसिलिएशन फोरम द्वारा ऐसे लगभग 1350 से ज्यादा मामलो का आपसी समझौते द्वारा समाधान कराया गया है. इससे लगभग रुपये 550 करोड़ की परिसंपत्तिया विवाद मुक्त कराई गई है. विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान की वजह से कंसिलिएशन फोरम की उपयोगिता में वृद्धि हुई है. ऐसे में अधिक से अधिक प्रोमोटर और घर खरीदार कंसिलिएशन फोरम का अधिक उपयोग करके अपने विवादों का तुरंत व सौहार्दपूर्ण हल प्राप्त कर सकते हैं जो उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर के स्वस्थ विकास में भी उपयोगी होगा.


क्रेडाई का क्या है कहना


क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के सचिव दिनेश गुप्ता ने कहा, "क्रेडाई के सदस्यों, रेरा अधिकारियों के साथ-साथ घर खरीदारों के प्रतिनिधियों की मदद से हम यूपी रेरा कन्सिलीऐशन फोरम में दायर किए गए लगभग 90% -95% मामलों को हल करने में सफल रहे हैं. यह पिछले कुछ सालों में रियल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक हितधारक के प्रयासों का सुखद परिणाम है. कई बार हमने महसूस किया कि दोनों पक्ष से संचार और बातचीत की कमी के कारण मामले पूर्ण रूप से असहमति तक पहुंच जाते हैं लेकिन कन्सिलीऐशन फोरम में प्रत्येक पक्ष को उनकी बात रखने और समझाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता हैं. इसे रेरा कंसिलिएटर, घर खरीदारों और बिल्डरों के प्रतिनिधियों द्वारा समझकर विश्लेषण किया जाता है.इस व्यवस्था से दोनों पक्षों के बीच एक-दूसरे के विषय में बनी गलत धारणाओं को दूर किया जाता है और इस दौरान हम सर्वसम्मति से मामले को सुलझाते हैं जिसे दोनों पक्षों द्वारा स्वीकार किया जाता है. इस प्रक्रिया से सभी प्रतिभागियों के बहुमूल्य समय और अन्य प्लेटफार्मों की तरह लंबी कानूनी प्रक्रिया से परे समाधान निकाला जाता है. हम यूपी रेरा की इस पहल, घर खरीदारों के संघ के प्रतिनिधियों और फोरम में भाग लेने वाले हमारे सदस्यों के मूल्यवान सहयोग की सराहना करते हैं. इसी क्रम में हमने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के साथ भी एक सुलह समिति बनाई है और नोएडा विकास प्राधिकरण के साथ भी प्रयास कर रहे हैं.


नई एसओपी में भी कंसिलिएशन फोरम का विकल्प 


उत्तर प्रदेश रेरा ने हाल ही में शिकायत दर्ज करने के लिए जारी की गई नई एसओपी में शिकायतकर्ता को सबसे पहले कंसिलिएशन फोरम का विकल्प चुनने का मौका दिया जा रहा है. ये यूपी रेरा की कंसिलिएशन फोरम की विवाद के शीघ्र निपटारे करने की कोशिशों को दिखाता है.


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