आबादी के लिहाज से भारत अभी दुनिया का सबसे बड़ा देश बन चुका है. इसके साथ ही भारत लगातार दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें भारत की खूब तारीफ की गई है. रिपोर्ट की मानें तो पिछले कुछ सालों के दौरान देश में लोगों का जीवनस्तर तेजी से बेहतर हुआ है और गरीबी में भारी कमी आई है.


गरीबी से बाहर निकले इतने लोग


न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक खबर के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के विकास कार्यक्रम यानी यूएनडीपी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ऑक्सफोर्ड पोवर्टी एंड हुमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव के द्वारा तैयार रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले 15 सालों में भारत ने 41.5 करोड़ लोगों को सफलतापूर्वक गरीबी से बाहर निकाला है. इससे पता चलता है कि भारत ने हालिया सालों में गरीबी को कम करने के ऊपर बहुत अच्छा काम किया है.


इन देशों में आधी हुई गरीबी


रिपोर्ट के साथ ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स भी जारी किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2005-06 से 2019-2021 के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पिछले 15 सालों के दौरान भारत ने अपनी एमपीआई वैल्यू को आधा कर लिया है. भारत के अलावा 24 अन्य देशों ने भी इसमें सफलता हासिल की है. उन देशों में कंबोडिया, चीन, कांगो, होंडुरास, इंडोनेशिया, मोरक्को, सर्बिया और वियतनाम शामिल हैं.


अप्रैल में चीन से ज्यादा हुई आबादी


आपको बता दें कि भारत हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बना है. संयुक्त राष्ट्र की मानें तो अप्रैल में भारत की आबादी 142.86 करोड़ पर पहुंच गई और इसके साथ ही भारत आबादी के मामले में चीन से आगे निकल गया. ऐसे में गरीबी में आई यह कमी काफी उल्लेखनीय हो जाती है.


इतनी रह गई गरीबों की संख्या


आंकड़ों के अनुसार, साल 2005-06 में भारत में गरीबों की संख्या करीब 64.5 करोड़ थी. साल 2015-16 में यह कम होकर 37 करोड़ रह गई, और 2019-21 में यह आंकड़ा सिर्फ 23 करोड़ रह गया. इस तरह देखें तो बीते 15 सालों में भारत में गरीबों की संख्या में करीब दो-तहाई यानी लगभग 65 फीसदी की कमी आई है.


इन आंकड़ों में भी जबरदस्त सुधार


इन 15 सालों के दौरान भारत ने विभिन्न मोर्चों पर शानदार प्रदर्शन किया है. बाल मृत्यु दर 15 साल पहले 4.5 फीसदी थी, जो अब कम होकर 1.5 फीसदी रह गई. ऐसे लोग, जिनके पास खाना बनाने के लिए ईंधन नहीं है, वे 52.9 फीसदी से कम होकर 13.9 फीसदी रह गए हैं. इसी तरह पीने के साफ पानी और बिजली से वंचित लोगों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है.


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