Budget 2022: बजट ( Budget) पेश होने में कुछ ही समय बचा है. सभी सेक्टर्स अपनी मांगों की फेहरिस्त वित्त मंत्री को सौंप रहे हैं. इंश्योरेंस कंपनियों ( Insurance Companies) ने भी अपनी मांगे सरकार के सामने रखी है. बीमा कंपनियों की मांग है कि इनकम टैक्स ( Income Tax) की सेक्शन 80 सी ( Section 80 C) के तहत अलग से केवल बीमा प्रीमियम ( Insurance Premium) के भुगतान पर टैक्सपेयर्स ( Taxpayers) को टैक्स की छूट दी जाए. 


बीमा प्रीमियम पर अलग से मिले टैक्स छूट 
बीमा कंपनियों  ( Insurance Companies) का मानना है कि देश में अभी भी ज्यादातर लोग इंश्योरेंस से दूर है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंश्योरेंस का फायदा पहुंचाया जाना बेहद जरुरी है. यही वजह है कि  बजट में इनकम टैक्स के 80 सी के तहत अलग से एक लाख रुपये तक इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर टैक्स छूट की मांग की गई है.  केनरा एचसीबीसी ओबीसी लाईफ इंश्योरेंस के तरुण रुस्तगी ने कहा है कि बीमा इंडस्ट्री की लंबे समय से ये मांग रही है कि लोगों को अलग से 80सी के तहत एक लाख रुपये के टैक्स डिडक्शन का लाभ देकर लोगों को बीमा पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. 


मेडिक्लेम पर जीएसटी रेट घटाने की मांग
इंश्योरेंस कंपनियों ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडेक्ट्स पर जीएसटी (Goods and Services Tax) घटाने की मांग की है. बीमा कंपनियों ने हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी रेट को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने की मांग की है जिससे हेल्थ इंश्योरेंस लोगों के लिए अफोर्डेबल किया जा सके. इसके अलावा 80डी के तहत मेडिक्लेम पर मिलने वाले टैक्स छूट की सीमा को 50 हजार रुपये कर देना चाहिए.   लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस के सीईओ रुपम अस्थाना के मुताबिक कोविड महामारी के हेल्थ इंश्योरेंस सबके जीवन के रोजमर्रा का हिस्सा बन चुका है जिसके जरिए वो खुद को प्रोटेक्ट कर सके.


डेढ़ लाख के निवेश पर मिलता है टैक्स छूट
आपको बता दें फिलहाल इनकम टैक्स के सेक्शन 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है.  इस डेढ़ लाख रुपये के रकम में बीमा, पीपीएफ, ईएलएसएस लेकर एनएससी में किया गया निवेश शामिल है.  एडलवाइस टोकियो लाईफ इंश्योरेंस के एक्सीज्यूटिव डॉयरेक्टर सुभ्रजीत मुखोपाध्याय ने भी बीमा प्रीमियम के भुगतान पर से टैक्स डिडक्शल का लाभ देने की मांग की है. 


बीमा है पहुंच से दूर
आईआरडीएआई ( IRDAI) के 2020-21 के सलाना रिपोर्ट के मुताबिक देश में इंश्योरेंस पेनेट्रेशन जीडीपी का केवल 4.2 फीसदी, जबकि ग्लोबल औसत 7.4 फीसदी है. वहीं नान लाईफ इंश्योरेंस प्रोडेक्ट की पहुंच केवल 1 फीसदी तक सीमित है. 


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