Unemployment In Urban India: शहरी इलाकों में रहने वालों के लिए बेरोजगारी का मुद्दा सबसे बड़ा चिंता का सबब बना हुआ है. Ipsos के सर्वे में ये बातें सामने आई है. वहीं वित्तीय और राजनीतिक भ्रष्टाचार दूसरा बड़ा मुद्दा है जो शहरी इलाकों के लोगों को परेशान कर रहा है. हालांकि सर्वे में बड़ी बात ये है कि 11 महीने से लगातार बेरोजगारी की समस्या को शहरी इलाकों में रहने वाले लोग सबसे बड़ा चिंता का कारण मानते हैं. 


Ipsos ने 28 देशों में सर्वे कराया जिसका शीर्षक है दुनिया को क्या परेशान कर रहा है. सर्वे में 21515 लोगों ने भाग लिया है. सर्वे में बेरोजगारी के बाद 31 फीसदी लोगों का मानना है कि फाइनैंशियल और पॉलिटिकल करप्शन दूसरा मुद्दा है जो लोगों को परेशान कर रहा है. तीसरा बड़ा मुद्रा क्राइम और हिंसा का है जो 25 फीसदी भारतीय को परेशान कर रहा है. इलके अलावा सामाजिक असामनता 23 फीसदी, महंगाई 20 फीसदी, कोरोना वायरस 19 फीसदी लोगों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है. वहीं दुनिया के बाकी देशों में महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है जो 39 फीसदी लोगों को परेशान कर रहा है.   


Ipsos India के सीईओ अमित अदारकर के  मुताबिक, महामारी के बाद रोजगार के अवसर उस रफ्तार से नहीं बढ़े जिस रफ्तार से रोजगार की मांग बढ़ी है. अगस्त 2022 में भी शहरी इलाकों में रहने वालों को बेरोजगारी का मुद्दा सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है. रूस यूक्रेन युद्ध के चलते दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में स्लोडाउन देखने को मिला है. ज्यादा बिजनेस में विकास की रफ्तार धीमी हुई है. 


सर्वे के मुताबिक महामारी के बाद समाज में असामनता बढ़ी है. तो उसी के साथ भ्रष्टाचार और क्राइम में भी बढ़ोतरी आई है. इन तमाम नकारात्मक बातों के बावजूद सर्वे में ये नतीजा सामने आया है कि भारतीय भविष्य को लेकर बेहद आशावादी हैं. 72 फीसदी शहरी भारतीय मानते हैं कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. 


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