Food Items Price Hike in US: कपड़ों से लेकर ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रॉसरी आइटम्स तक, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगाए गए टैरिफ के चलते चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. महंगाई एक ऐसे समय में बढ़ रही है, जब अमेरिका का लेबर मार्केट कमजोर होता जा रहा है. श्रम सांख्यिकी ब्यूरो (Bureau of Labor Statistics) की गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, टैरिफ के चलते रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली कई चीजों की कीमतें बढ़ गई हैं. 

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कपड़ों से लेकर फल-सब्जियों तक की कीमत बढ़ी

परिधानों की कीमतों में 0.5 परसेंट का इजाफा हुआ है. वीडियो और ऑडियो प्रोडक्ट की भी कीमतें बढ़ी हैं. मोटर व्हीकल पार्ट्स में 0.6 परसेंट का उछाल आया है. नई कारों की कीमतों में 0.3 परसेंट और एनर्जी में 0.7 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है. किराने के सामान में 0.6 परसेंट का इजाफा हुआ है, जो अगस्त 2022 के बाद से आया सबसे बड़ा उछाल है. औजारों और हार्डवेयर की कीमतों में 0.8 की बढ़ोतरी हुई है. खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. इसका असर सबसे ज्यादा बीफ, अंडे और सब्जियों पर पड़ा है.

84 रुपये में आलू, 300 रुपये में अंडे

अमेरिका में आलू 84 रुपये पाउंड बिक रहे हैं. जून 2024 से जून 2025 तक सभी प्रकार के किराने के सामान की कीमतों में 2.4 परसेंट की वृद्धि हुई है. बीफ की कीमतें तो बेहद तेजी से बढ़ी हैं क्योंकि अमेरिका में लगभग 20 से 30 परसेंट ग्राउंड बीफ ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे दूसरे देशों से मंगाए जाते हैं. दोनों पर 1 अगस्त से टैरिफ लागू हैं. इनमें ब्राजील पर 50 परसेंट टैरिफ लगाया गया है. इसी तरह से अंडे की भी कीमतें बढ़ी हैं. जून 2024 से जून 2025 तक अंडों की कीमतों में 27.3 परसेंट का उछाल आया है. अमेरिका में अभी एक दर्जन अंडे की कीमत भारतीय करेंसी में 300 रुपये है. यहां केले की कीमतों में भी एक साल में 8.8 परसेंट का उछाल आया है क्योंकि अमेरिका में ज्यादातर केले मंगाए जाते हैं. 

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आइए खाने-पीने की बढ़ी हुई कीमतों पर एक नजर डालते हैं- 

  • 1 पाउंड या 453 ग्राम बीफ- 557 रुपये
  • 1 दर्जन अंडा- 300 रुपये
  • 1 पाउंड आलू- 84 रुपये
  • 1 पाउंड चिकन- 175 रुपये 
  • 1 गैलन या 3.8 लीटर दूध- 350 रुपये 
  • 1 पाउंड चावल- 89 रुपये
  • 1 पाउंड केला- 56 रुपये 

महंगाई के बोझ तले अमेरिकी

एक्सपर्ट्स का मानना है ट्रंप के दूसरे देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के चलते यहां सामानों के दाम बढ़ गए हैं. पहले के मुकाबले ग्रॉसरी पर हर महीने 900 डॉलर (75000 रुपये) खर्च हो रहे हैं. जबकि सैलरी वहीं की वहीं है. ऐसे में यहां के मिडिल क्लास पर महंगाई का दबाव बढ़ रहा है. टैरिफ की वजह से चूंकि भारत, चीन और यूरोपीय देशों से अब आयात महंगा हो गया है इसलिए कीमतें सरपट भाग रही हैं. 

 

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