Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है और 21 सितंबर 2025 को यह समाप्त होता है. पितृ पक्ष के 15 दिनों में लोग अपने मृत पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं. लेकिन पुराणों में मृत पूर्वजों के भी तीन प्रकार बताए गए हैं. इसके साथ ही श्राद्ध के भी 12 प्रकारों का उल्लेख मिलता है. आप इनमें से किस पितृ का श्राद्ध करते हैं, कौन सा श्राद्ध करते हैं और इसके क्या लाभ हैं, यह जान लीजिए. 

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पितरों के प्रकार (Types of Ancestors)

नित्य पितृ- ऐसे पितृ जोकि हमेशा मौजूद रहते हैं. विष्णु पुराण में इन्हें ही पूर्वज कहा गया है. ये अपने वंश से आत्मा की शांति की अपेक्षा रखते हैं. इनका श्राद्ध या तर्पण नियमित रूप से किया जाता है.

नैमित्तिक पितृ- ये ऐसे पितृ होते हैं, जिन्हें विशेष अवसरों में स्मरण किया जाता है. ऐसे पितरों को हरिर्भुज यानी अग्नि में अर्पित भोजन ग्रहण करने वाला पितृ माना जाता है.

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साप्तमिक पितृ- ये ऐसे पितृ होते हैं जोकि विशेष साप्तहातिक अवसरों से जुड़े होते हैं. इनका श्राद्ध सप्ताह के विशेष दिनों में किया जाता है. पुराणों में इन पितरों को शिव गणों की तरह माना जाता है.

श्राद्ध के 12 प्रकार (12 Types of Shraddh)

1. नित्य श्राद्ध, 2. नैमित्तिक श्राद्ध, 3. काम्य श्राद्ध, 4. वृद्ध श्राद्ध, 5. सपिंडित श्राद्ध, 6. पार्वण श्राद्ध, 7. गोष्ठ श्राद्ध, 8. शुद्धि श्राद्ध, 9. कर्मांग श्राद्ध, 10. दैविक श्राद्ध, 11. यात्रार्थ श्राद्ध और 12. पुष्टि श्राद्ध.

 दसवां श्राद्ध दिलाता है अन्न-धन

दसवें श्राद्ध को दैविक श्राद्ध कहा जाता है. इस श्राद्ध को करने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो पितरों के प्रसाद को उन तक पहुंचाते हैं. इस तरह से दैविक श्राद्ध से देवता और पितृ दोनों को प्रसन्न कर आशीर्वाद पाया जा सकता है. मान्यता है कि इस श्राद्ध से सौभाग्य, धन, अन्न, संतान आदि की प्राप्ति होती है. इसलिए कहा जाता है कि दैविक श्राद्ध करने से अन्न-धन्न की कभी कमी नहीं होती है.

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