भारत की अर्थव्यवस्था पिछले कई सालों से दुनिया की सबसे तेज तरक्की करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी हुई है. पहले लंबे समय तक यह खिताब चीन के पास था, लेकिन भारत ने अब चीन को इस मामले में पीछे छोड़ दिया है. मल्टीलैटरल लेंडिंग एजेंसी आईएमएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि यह कोई हैरानी की बात नहीं है.


इस कारण नहीं हो रहा आश्चर्य


एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एशिया एवं प्रशांत (एपीएसी) विभाग के डाइरेक्टर कृष्णा श्रीनिवासन ने बताया है कि उन्हें इस बात कोई हैरानी क्यों नहीं है. बकौल श्रीनिवासन, दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के आकार की तुलना करें तो इसमें कोई हैरानी की बात नजर नहीं आती है. भारत की तुलना में चीन 4 गुना बड़ा है और ऐसे में भारत की ग्रोथ रेट चीन से ज्यादा होना कोई असामान्य बात नहीं है.


चीन और भारत की जीडीपी का साइज


इन्वेस्टोपीडिया के आंकड़ों के अनुसार, करीब 26 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ अमेरिका अभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वहीं 18 ट्रिलियन डॉलर के साथ चीन दूसरे स्थान पर है. भारत की अर्थव्यवस्था का आकार अभी 3.75 ट्रिलियन डॉलर के आस-पास है और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में भारत फिलहाल पांचवें स्थान पर है.


निकट भविष्य में नहीं हैं चुनौतियां


श्रीनिवासन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने यूक्रेन-रूस युद्ध से लेकर पश्चिम एशिया में हुए तनाव तक विभिन्न चुनौतियों का अच्छे से सामना किया है. भारत की आर्थिक वृद्धि दर को प्राइवेट सेक्टर के मजबूत उपभोग और सार्वजनिक निवेश से समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कोई खास चुनौती नजर नहीं आ रही है. हालांकि उन्होंने आने वाले दिनों में अहम सुधारों की जरूरत पर बल दिया.


ऐसे बढ़ रही है भारत की अर्थव्यवस्था


अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 1 अप्रैल से शुरू हुए नए वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है. यह वित्त वर्ष 2024-25 के अनुमान में आईएमएफ के द्वारा 0.3 फीसदी की बढ़ोतरी है. इससे पहले आईएमएफ ने इस वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रहने का अनुमान दिया था. 31 मार्च को समाप्त हुए पिछले वित्त वर्ष में आईएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी रहने का अनुमान दिया है. हालांकि आरबीआई समेत वित्त मंत्रालय को पिछले वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट 8 फीसदी के पार निकलने की उम्मीद है.


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