(अनुराधा श्रीराम)


नए जमाने की महिलाओं ने कई परंपराओं और रूढ़ियों को मात दी है. उन्होंने तमाम चुनौतियों से जूझते हुए हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़े हैं. अब महिलाएं साथ-साथ व्यक्तिगत व वित्तीय जिम्मेदारियां उठा रही हैं. महिलाओं के जीवन में मातृत्व एक अहम पड़ाव होता है. कोविड के बाद जो दौर सामने आया है, उसने हर किसी को कई तरह के सबक दिया है. आज हम बताने जा रहे हैं कि कोविड के बाद के दौर में महिलाओं को मां बनने से पहले किस तरह से वित्तीय तैयारियां करने की जरूरत है.


महामारी से शुरू हुआ नया दौर


कोविड-19 महामारी ने एक नए युग की शुरुआत की है, जिसने लाइफस्टाइल, हेल्थ और फाइनेंस के बारे में महिलाओं की धारणाओं को फिर से परिभाषित किया है. जैसे-जैसे दुनिया 'न्यू नॉर्मल' की चुनौतियों से जूझ रही है, मां बनने वाली महिलाओं के लिए अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी व वेलफेयर को प्राथमिकता देना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. महिलाओं ने कोविड के समय फाइनेंशियल डिसिप्लिन का उदाहरण पेश किया. अब जरूरत है उससे सबक लेकर आगे की तैयारियां करने की.


हेल्थ इंश्योरेंस की बढ़ी जागरूकता


महामारी के दौरान कई लोगों को वित्तीय समस्याओं से जूझना पड़ा. इससे उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा. इससे लोगों को पता चला कि फाइनेंशियल प्लानिंग किस तरह से जरूरी है. महामारी ने लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति जागरूक किया. अच्छी बात है कि महिलाओं ने भी महामारी के सालों में जरूरी सबक लिए और अब वे हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति पहले से ज्यादा जागरूक हैं.


बचत से नहीं चल पाएगा काम


हमारी न्यू हेल्थ नॉर्मल रिपोर्ट के अनुसार, 40 फीसदी पुरुषों की तुलना में 45 फीसदी महिलाएं विलासिता यानी लक्जरी के खर्चों में कटौती करने पर विचार कर रही हैं. इससे पता चलता है कि वे हेल्थ से जुड़ी जरूरतों के लिए तैयारियों पर ध्यान दे रही हैं. हालांकि, महिलाओं में अभी भी अनिश्चितता की भावना है. सर्वे में शामिल 41 फीसदी पुरुषों की तुलना में 36 फीसदी महिलाओं इस बात को लेकर संदेह जाहिर किया कि उनकी सेविंग्स अचानक आने वाली इलाज की जरूरतों के लिए पर्याप्त हैं.


महिलाओं में आए ये बदलाव


महामारी के बाद के दौर में स्वास्थ्य के व्यापक देखभाल की प्रवृत्ति उभरी है. आहार, व्यायाम और फिटनेस एक स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. महिलाओं ने विशेष रूप से मातृत्व के दौरान अच्छे स्वास्थ्य, अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक आहार के महत्व को महसूस किया है और बच्चों सहित परिवार के अन्य सदस्यों को स्वस्थ भोजन की आदतें अपनाने और संतुलित जीवन शैली अपनाने के लिए मनाने में सफल रही हैं.


स्वास्थ्य निगरानी के मामले में, भावी माताओं के पास नियमित जांच, उनके स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं की निगरानी करने वाले एप्लिकेशन, वर्चुअल सलाह , फिटनेस ऐप, पहनने योग्य उपकरण और रोग ट्रैकिंग डिवाइस जैसे विभिन्न चैनलों तक पहुंच होती है. हमारी रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि महिलाएं इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग करके अपने स्वास्थ्य और शारीरिक गतिविधि पर नजर रखने के लिए तेजी से पहल कर रही हैं. 70 फीसदी पुरुषों की तुलना में 68 फीसदी महिलाएं नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की निगरानी करती हैं और वे वॉक आदि को ट्रैक करती हैं.


(लेखिका आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस की मुख्य एक्चुरी अधिकारी हैं. इस आलेख में प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं.)


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