टाटा समूह ने भारतीय सेना की मदद के लिए एक सैटेलाइट का निर्माण किया है. यह भारत का पहला ऐसा मिलिट्री ग्रेड स्पाई सैटेलाइट है, जिसे प्राइवेट सेक्टर ने तैयार किया है. इसे जल्दी ही लॉन्च किया जाने वाला है. यह सैटेलाइट एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के रॉकेट से लॉन्च होगा.


ग्राउंड स्टेशन बनाने का काम जारी


ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सैटेलाइट को टाटा समूह की कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) ने तैयार किया है. इसे पिछले सप्ताह पूरी तरह से तैयार किया गया. अब इस सैटेलाइट के लिए ग्राउंड स्टेशन बनाने का काम भी पूरा होने वाला है. ग्राउंड स्टेशन से ही स्पाई सैटेलाइट को कंट्रोल किया जाएगा और सब-मीटर रिजॉल्यूशन को प्रोसेस किया जाएगा.


इन क्षमताओं से लैस सैटेलाइट


इस सैटेलाइट को स्पेसएक्स के रॉकेट के माध्यम से अप्रैल में प्रक्षेपित किया जाएगा. उसके लिए सैटेलाइट को फ्लोरिडा भेजा जा रहा है. टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने लैटिन अमेरिकी कंपनी सैटेलॉजिक के साथ पार्टनरशिप में इस सैटेलाइट को तैयार किया है. यह सैटेलाइट 0.5 मीटर तक के रिजॉल्यूशन में तस्वीरें निकाल सकता है. इससे सेना को बॉर्डर की निगरानी करने और स्ट्रेटजिक टारगेट तय करने में मदद मिलेगी.


सेना की ये जरूरतें होंगी पूरी


चीन के साथ सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद सेना की बॉर्डर की निगरानी की जरूरतें बढ़ गई हैं. अभी सेना को सैटेलाइट इंटेलीजेंस के लिए अमेरिकी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है. इसरो के पास भी सब-मीटर रिजॉल्यूशन सैटेलाइट हैं, लेकिन वे सेना की जरूरतों के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो पाते हैं, क्योंकि सेना को अक्सर बड़े कवरेज की जरूरत होती है और कई बार जरूरत अर्जेंट होती है. ऐसे में इस सैटेलाइट से सेना की विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम होगी और तत्काल डेटा उपलब्ध हो सकेगा.


बेंगलुरू में बन रहा कंट्रोल सेंटर


इस सैटेलाइट को कंट्रोल करने के लिए बेंगलुरू में कंट्रोल सेंटर बनाया जा रहा है. कंट्रोल सेंटर से ही सैटेलाइट को रास्ता दिखाया जाएगा. उसके साथ-साथ सेना को बॉर्डर समेत अन्य निगरानी करने या टारगेट लॉक करने के लिए जरूरी तस्वीरों को भी कंट्रोल सेंटर में प्रोसेस किया जाएगा. जरूरत पड़ने पर सैटेलाइट मित्र देशों के भी काम आ सकता है.


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