भारत के कारोबारी व औद्यागिक घरानों में टाटा समूह की उपस्थिति विशिष्ट है. अब टाटा समूह के साथ एक और विशेष बात जुड़ने वाली है. देश में ऐसा पहली बार हो सकता है, जब किसी शहर का पूरा एडमिनिस्ट्रेशन एक कॉरपोरेट घराने के पास हो.


टाटा समूह के संस्थापक ने बसाया शहर


यह मामला है झारखंड के सबसे प्रमुख शहरों में गिने जाने वाले जमशेदपुर का, जिसकी गिनती देश के सबसे प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में भी की जाती है. जमशेदपुर भारत का पहला प्लान्ड शहर है. शहर की स्थापना टाटा समूह के द्वारा ही की गई है. इस शहर को बसाने का श्रेय टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा को दिया जाता है. शहर को उनके ही कारण जमशेदपुर नाम मिला है.


बिना नगर निगम वाला अकेला शहर


झारखंड के इस प्रमुख शहर में ही देश का सबसे पहला स्टील प्लांट भी है. यह संभवत: देश का अकेला ऐसा शहर है, जिसकी आबादी एक मिलियन से ज्यादा होने के बाद वहां नगर निगम नहीं है. अभी शहर की आबादी करीब 17 लाख है. शहर की स्थापना के बाद से टाटा समूह लंबे समय तक प्रशासन संभालता रहा है, लेकिन पिछले कुछ साल से मामला कानूनी अड़चनों में अटका हुआ है.


5 साल पहले दायर हुई पीआईएल


इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में करीब 5 साल पहले एक जनहित याचिका दायर की गई थी. मिंट की एक रिपोर्ट बताती है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित पीआईएल पर अगले साल जनवरी तक फैसला आ सकता है. सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि मामले को लेकर बातचीत अंतिम स्टेज में है. इस बात पर बातचीत चल रही है कि एक म्यूनिसिपल काउंसिल नॉमिनेट हो, जिसमें टाटा स्टील के प्रतिनिधि, सरकार के नामित सदस्य और कुछ स्थानीय लोग शामिल हों.


इस कानूनी बदलाव से बन सकती है राह


वहीं झारखंड सरकार इस संबंध में एक कानूनी बदलाव करने की तैयारी में है. मिंट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य सरकार जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउनशिप का दर्जा दे सकती है, जिसके बाद शहर का एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल टाटा समूह के हाथों देने की राह की कानूनी अड़चनें दूर हो जाएंगी. टाटा समूह की इस संबंध में केंद्र सरकार के साथ भी बातचीत चल रही है. हालांकि इस बारे में अब तक न तो किसी सरकार की ओर से कुछ आधिकारिक तौर पर कहा गया है, न ही टाटा समूह या टाटा स्टील ने कोई बयान दिया है.


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