Supreme Court Om Goods And Services Tax: जीएसटी ( Goods And Services Tax) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि केंद्र सरकार ( Central Government)  और राज्यों ( States) के पास जीएसटी ( GST) को लेकर कानून बनाने का बराबर अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जीएसटी काउंसिल ( GST Council) की सिफारिशें मानने के लिए केंद्र और राज्य सरकार बाध्य नहीं है. इसका केवल एक प्रेरक मूल्य ( Persuasive Value) है. 


न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ( Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्यों के पास जीएसटी ( GST)  पर कानून ( Laws) बनाने का एक बराबर अधिकार है. इसलिए जीएसटी काउंसिल को केंद्र और राज्यों के बीच व्यावहारिक समाधान प्राप्त करने के लिए सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "जीएसटी परिषद (( GST Council) की सिफारिशें सहयोगात्मक चर्चा का नतीजा है. ये जरूरी नहीं है कि संघीय इकाइयों में से एक के पास हमेशा अधिक हिस्सेदारी हो. 


सुप्रीम कोर्ट की ये रुलिंग गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश के मद्देनजर दिया है जिसमें हाईकोर्ट ने 2017 में Ocean Freight के तहत Vessel में सामानों के ट्रांसपोर्टेशन पर 5 फीसदी  आईजीएसटी ( IGST) लगाने के सरकार के नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है. 


जीएसटी को लागू हुए 5 साल होंगे पूरे 
इस वर्ष एक जुलाई को जीएसटी का लागू हुए पांच साल पूरे हो जायेंगे. 1 जुलाई 2017 से जीएसटी कानून को पूरे देश में लागू किया गया. एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट और सेल्स टैक्स को मिलाकर एक टैक्स जीएसटी बनाया गया था. जीएसटी को लेकर कोई भी निर्णय लेने का अधिकार जीएसटी काउंसिल के पास है जिसके अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं और राज्यों के वित्त मंत्री जीएसटी काउंसिल के सदस्य हैं. 


 


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