Sula Vineyards IPO: देश में वाइन (Wine) बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी सुला विनेयार्ड्स का आईपीओ (Sula Vineyards IPO) आज से निवेश के लिए खुल गया है. सुला विनेयार्ड्स का आईपीओ 12 से 14 दिसंबर, 2022 तक निवेश के लिए खुला रहेगा. आईपीओ के जरिए कंपनी 960 करोड़ रुपये ये बाजार से जुटाने जा रही है. 


क्या है प्राइस बैंड


सुला विनेयार्ड्स ने 340 से 357 रुपये आईपीओ का प्राइस बैंड फिक्स किया है. 12 से 14 दिसंबर तक आईपीओ खुला रहेगा. 22 दिसंबर, 2022 को शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बीएसई पर शेयर लिस्ट होगा. सुला विनेयार्ड्स 2.69 करोड़ शेयर्स आईपीओ में ऑफर फॉर सेल के तहत बेचने जा रही है. कंपनी के निवेशक अपने शेयर्स आईपीओ में बेच रहे हैं. यानि आईपीओ में आने वाले सभी रकम कंपनी को नहीं मिलेगे बल्कि शेयरहोल्डर्स के पास जायेंगे. कंपनी ने 9 दिसंबर को एंकर निवेशकों से 288.10 करोड़ रुपये जुटा चुकी है. 


ग्रे मार्केट में प्रीमियम पर ट्रेड


आईपीओ वॉच के मुताबिक सुला विनेयार्ड्स का शेयर ग्रे मार्केट में 40 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है. यानि इस हिसाब से शेयर 400 रुपये के करीब लिस्ट हो सकता है. 


वाइन कंपनी की स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग


कंपनी का आईपीओ लाने का मकसद स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कराना है साथ ही मौजूदा निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेच सकें. सुला विनेयार्ड्स की अगर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग हो जाती है तो देश में वाइन बनाने वाली ये पहली कंपनी होगी जो स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होगी. सुला विनेयार्ड्स वाइन टूरिज्म के क्षेत्र में अग्रणी कंपनियों में एक है. महाराष्ट्र के नासिक में दो वाइन रिजार्ट्स भी मौजूद है. 


सुला विनेयार्ड्स के फाइनैंशियल


2021-22 में Sula Vineyards का रेवेन्यू 453.92 करोड़ रुपये रहा था जबकि मुनाफा 52.14 करोड़ रुपये हुआ था. 2020-21 में रेवेन्यू 417.96 करोड़ रुपये तो मुनाफा 3.01 करोड़ रुपये हुआ था. 1996 की कंपनी की स्थापना हुई थी.  Sula Vineyards 13 ब्रांड के नाम से 56 प्रकार के लेबल वाले वाइन बनाती है. वाइन मार्केट में कंपनी दिग्गज कंपनी में से एक है. कोटक महिंद्रा कैपिटल (Kotal Mahindra Capital), सीएलएसए इंडिया (CLSA India) और आईआईएफएल सिक्योरिटिज ( IIFL Securities) आईपीओ के बुक रनिंग लीड मैनेजर्स है.


ब्रोकरेज हाउस की राय


Choice Broking और केनरा बैंक सिक्योरिटिज ने आईपीओ में सब्सक्राइब करने की सलाह दी है. हालांकि कुछ ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि प्रोमोटर को कम होल्डिंग चिंता कारण है ऐसे में हाई रिस्क वाले निवेशकों को ही आईपीओ में पैसा लगाना चाहिए. 


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