नई दिल्ली: सरकार ने भरोसा दिलाया है कि जीएसटी को लेकर शुरुआती के तीन से छह महीने तक करदाताओं पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी. पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी पहली जुलाई से लागू हो गयी है.



उद्योग संगठन सीआईआई के सम्मेलन मे पहुंची अप्रत्यक्ष करों की नीति तय करने वाली सबसे बड़ी संस्था सेट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम यानी सीबीईसी की मुखिया वनजा एन सरना ने भरोसा दिलाया कि नयी व्यवस्था को लेकर डरने की जरुरत नहीं. सरना का ये बयान ऐसे समय में आय़ा है जब देश भर में व्यापारी-कारोबारी और खास तौर पर छोटे व्यापारी नयी व्यवस्था के कायदे कानून पर अमल को लेकर सहमे हुए हैं. सरना ने साफ किया कि उन्होंने अपने अधिकारियों को करदाताओं की नयी कर व्यवस्था को अपनाने में सहयोग देने को का निर्देश दिया है, ना कि सजा देने का.




सरना के मुताबिक, जीएसटी लागू होने के 18 दिनों के भीतर छोटी-मोटी दिक्कतें भले आयी हो, लेकिन कुल मिलाकर अभी तक का सफर बेहतर रहा है. वैसे इन 18 दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. मसलन, गुजरात के सूरत और राजस्थान के भीलवाड़ा में कपड़ा उद्योग से जुड़े लोग कारोबार बंद कर सड़कों पर उतर आएं, वहीं अलग-अलग शहरों में मझौले और छोटे उद्यमियों यानी एमएसएमई ने विरोध प्रदर्शन किया. इन सब को लेकर सीबीईसी प्रमुख का कहना है कि पहली जुलाई की तारीख कोई पत्थर में गढ़ी तारीख नहीं है जिसके बाद व्यवस्था में कुछ बदलाव नहीं हो सकता.



सरना ने बताया कि सामान और सेवाओं पर दरों में बदलाव को लेकर अलग-अलग उद्योग संगठन उनसे मिलते रहते हैं. बहरहाल, ये समझना जरुरी है कि सामान और सेवाओं पर दरें गहन चर्चा के बाद तय की गयी है. अब यदि कोई कहता है कि जीएसटी की दर, पहले के तमाम करों से ज्यादा है तो ये विसंगति दूर की जा सकती है. लेकिन यदि कोई दर कम रखे जाने की ख्वाहिश लेकर आता है तो उस पर विचार करने के अलग मौके बनेंगे.



इस मौके पर सीबीईसी प्रमुख ने ये जानकारी भी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कीमतों से लेकर सामान की उपलब्धता की व्यवस्था पर निगरानी बनाए हुए हैं. इसके लिए कैबिनेट सचिव ने तमाम सचिवों को को अपने-अपने मंत्रालय से जुड़े सामान और सेवाओं की कीमतों और उपलब्धता पर ध्यान देने को कहा है. इनकी मदद के लिए संयुक्त सचिव स्तर के 200 अधिकारी भी स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर हालात पर नजर रखे हुए हैं. कैबिनेट सचिव हर हफ्ते बैठक कर जीएसटी के बाद के हालात और खासतौर पर कीमतों का जायजा लेते हैं.