Share Market News: 26 नवंबर को खत्म हुए हफ्ते में भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. नए कोरोना वेरिएंट के डर ने बाजार में तबाही मचा दी है. शुक्रवार के कारोबार में निफ्टी 17000 के नीचे भी फिसलता नजर आया. यूरोपियन देशों में कोरोना के नए वायरस के बढ़ते मामलों, दुनियाभर में बढ़ती महंगाई FII की बिकवीली के चलते बाजार पर दबाव बढ़ गया है. 26 नवंबर को खत्म हुए हफ्ते में सेसेंक्स 2,528.86 प्वाइंट यानी 4.24 फीसदी गिरकर 57,107.15 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी 738.3 प्वाइंट यानी 4.15 फीसदी टूटकर 17,026.5 के स्तर पर बंद हुआ.


नवंबर सीरीज में निफ्टी 1.7 फीसदी टूटा है जबकि सेसेंक्स में 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. अलग-अलग सेक्टर पर नजर डालें तो बीते हफ्ते बीएसई ऑटो इंडेक्स 8 फीसदी और रियल्टी इंडेक्स 6.8 फीसदी टूटकर बंद हुए है जबकि टेलिकॉम और हेल्थकेयर इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए है. छोटे-मझोले शेयरों की चाल भी गए हफ्ते दिग्गजों की तरह ही रही. बीएसई मिडकैप इंडेक्स 4 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ.


कहीं तेजी कहीं मंदी


वहीं स्मॉलकैप इंडेक्स 2.5 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ है. हालांकि इस गिरावट में भी 41 स्मॉलकैप शेयर ऐसे रहे है जिनमें 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली है. इसमें Aurum Proptech, Jaiprakash Associates, Tata Teleservices (Maharashtra), R Systems International, Trident, Brightcom Group, GRM Overseas, Elgi Equipments और Urja Global जैसे शेयरों के नाम शामिल है.


दूसरी तरफ 17 स्मॉलकैप शेयर ऐसे रहे है जिनमें 10 -17 पर्सेंट की गिरावट हुई है. इनमें Godawari Power & Ispat, Lemon Tree Hotels, 63 Moons Technologies, PVR, Sequent Scientific, Force Motors, Bodal Chemicals, Monte Carlo Fashions और Shoppers Stop के नाम शामिल है.


अगले हफ्ते ऐसी रहेगी चाल


विशेषज्ञों का कहना है कि निफ्टी अपने 17200 और 17000 के अहम सपोर्ट वाले स्तर के बिल्कुल करीब आ गया है. अब ऐसा लग रहा है कि जब तक निफ्टी 17000 के ऊपर बना हुआ है सिर्फ तब तक इसमें अपने इस सपोर्ट जोन से ऊपर की अपसाइड रिकवरी की उम्मीद है. वहीं अगर निफ्टी 17000 के नीचे बंद होता है तो अगला स्तर 16700 के आस पार नीचे जाता दिख सकता है.


इन आंकड़ों पर रखें नजर


साथ ही बाजार की नजर अब मैक्रो आकंड़ों और महंगाई के आकंड़ों पर रहेगी. इस खराब बाजार में अगर कुछ IPO लिस्टिंग निराश करते है तो इससे मार्केट में लिक्विडिटी कम होने के संकेत साफ होंगे. वहीं आने वाले हफ्तों में नवंबर महीनों के ऑटो बिक्री आकंड़े भी बाजार पर असर डालेंगे.


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