SBI Study on Rupee: अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत आयात शुल्क के कारण भारतीय रुपये पर बीते कुछ महीनों से जबरदस्त दबाव बना हुआ है और यही मौजूदा गिरावट का एक प्रमुख कारण बनकर उभरा है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक शोध विभाग की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दो अप्रैल 2025 के बाद से जब अमेरिका ने व्यापक स्तर पर शुल्क बढ़ाने की घोषणा की, तब से रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 5.7 प्रतिशत कमजोर हुआ है, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक गिरावट मानी जा रही है.

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मजबूती वापसी करेगा रुपया

हालांकि, रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि रुपये में गिरावट जरूर ज्यादा रही है, लेकिन यह अत्यधिक अस्थिर नहीं है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी आधार अब भी मजबूत हैं. अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर समय-समय पर बनी उम्मीदों की वजह से रुपये में बीच-बीच में मजबूती भी देखने को मिली है, लेकिन भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और वैश्विक संरक्षणवाद के बढ़ते रुझान ने विदेशी निवेश के प्रवाह को सीमित कर दिया है.

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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पहले के वर्षों की तुलना में अब पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह काफी कम हो गया है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा है. वर्ष 2007 से 2014 के बीच जहां औसतन 162.8 अरब डॉलर का शुद्ध पोर्टफोलियो प्रवाह देखने को मिलता था, वहीं 2015 से 2025 तक यह घटकर औसतन 87.7 अरब डॉलर रह गया है. एसबीआई के अनुसार, 2014 से पहले विदेशी निवेश प्रवाह रुपये में उतार-चढ़ाव का बड़ा कारण था, लेकिन अब व्यापार समझौतों में देरी, भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक अनिश्चितताओं ने निवेशकों के रुख को सतर्क बना दिया है.

एसबीआई रिपोर्ट से उम्मीद

इसके बावजूद, रिपोर्ट में भरोसा जताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने लंबे समय तक अनिश्चितता, संरक्षणवाद और श्रम आपूर्ति में आए झटकों के बीच भी उल्लेखनीय मजबूती दिखाई है. एसबीआई का आकलन है कि भले ही फिलहाल रुपया कमजोरी के दौर से गुजर रहा हो, लेकिन अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसमें मजबूत वापसी देखने को मिल सकती है. विदेशी मुद्रा भंडार का स्तर अभी भी पर्याप्त है और रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर किए जा रहे हस्तक्षेप से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में रुपये की स्थिति फिर से सुदृढ़ हो सकती है.

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