बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंडों के द्वारा फ्रंट रनिंग पर लगाम लगाने के लिए नियमों में कुछ बदलाव करने की तैयारी की है. इसके लिए सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने अपने म्यूचुअल फंड रेगुलेशंस में बदलावों को मंजूरी दी है.


इस कारण किए जा रहे बदलाव


मंगलवार को जारी सेबी के एक बयान के अनुसार, नई व्यवस्था में सर्विलांस की बेहतर प्रणालियां शामिल होंगी. फ्रंट रनिंग, इनसाइडर ट्रेडिंग, संवेदनशील जानकारियों के दुरुपयोग आदि को रोकने के लिए इंटरनल कंट्रोल प्रोसिजर और एक्सकेलेशन प्रोसेस को भी सिस्टम में जगह दी जाएगी, ताकि विभिन्न गड़बड़ियों को पहचाना जा सके, उनकी निगरानी की जा सके और उन पर लगाम लगाना संभव हो सके.


पिछले साल हुई थी शुरुआत


सेबी ने इसकी तैयारियां पिछले साल की शुरू कर दी थी. इसे लेकर करीब साल भर पहले मई 2023 में बाजार नियामक ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था. दरअसल बाजार में फ्रंट रनिंग और इनसाइडर ट्रेडिंग के मामलों में अचानक काफी तेजी देखी जा रही थी. उससे सेबी सतर्क हो गया था. ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से सेबी ने कंसल्टेशन पेपर जारी कर बाजार के विभिन्न प्रतिभागियों के सुझावों को जानने का प्रयास किया था.


क्या है फ्रंट रनिंग?


फ्रंट रनिंग उन मामलों को कहा जाता है, जिनमें भविष्य में होने वाले किसी लेन-देन की जानकारी से जुड़ा होता है. यह एक तरह से इनसाइडर ट्रेडिंग ही है. इसमें भविष्य में होने वाले किसी ट्रांजेक्शन से जुड़ी जानकारी का इस्तेमाल कर फायदा उठाया जाता है. यह शेयर या किसी अन्य फाइनेंशियल एसेट से भी जुड़ा हो सकता है. इसमें जानकारी रखने वाले (इनसाइडर ट्रेडर) को तो फायदा होता है, लेकिन सामान्य निवेशकों व ट्रेडर्स को नुकसान उठाना पड़ जाता है.


पिछले साल खुला था ये मामला


एक ऐसे ही मामले में सेबी ने पिछले म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को बड़ा झटका दिया था, जब प्रमुख एएमसी में एक एक्सिस म्यूचुअल फंड के पूर्व चीफ डीलर विरेश जोशी समेत 20 लोगों के ऊपर सेबी के द्वारा कार्रवाई की गई थी. सेबी ने उक्त कार्रवाई फरवरी 2023 में की थी, जिसके तहत जोशी व अन्य लोगों को सिक्योरिटीज मार्केट के एक्सेस से प्रतिबंधित कर दिया गया था. वह मामला एक्सिस म्यूचुअल फंड के ट्रेड से जुड़े फ्रंट रनिंग का था.


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