Rice Price Hike Update: चावल की कीमतों में उछाल थमने का नाम नहीं ले रही है. भारी डिमांड के कारण चावल के दाम 15 साल के उच्च स्तरों पर जा पहुंचा है. अल नीनो के असर के चलते चावल की सप्लाई बाधित हुई है. एशियाई और अफ्रीकी महाद्वीप के देशों में चावल लोगों की थाली का प्रमुख भोजन है. लेकिन चावल की महंगाई ने अभी से लोगों की परेशानी बढ़ा दी है और आने वाले दिनों में चावल के और महंगे होने की संभावना जताई जा रही है. 


15 सालों के हाई पर चावल के दाम 


ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक थाई राइस एक्सपोटर्स एसोसिएशन ने बताया कि थाई व्हाइट राइस ब्रोकेन 5% जो एशियन बेंचमार्क है उसकी कीमतें बुधवार 20 दिसंबर, 2023 को 2.5 फीसदी के उछाल के साथ 650 डॉलर प्रति टन जा पहुंचा है जो 15 सालों में अक्टूबर 2008 के बाद सबसे ज्यादा है. चावल की कीमतों के उछाल की बड़ी वजह भारत के चावल के एक्सपोर्ट पर रोक के अलावा थाईलैंड में चावल के फसल को हुआ नुकसान है.  सितंबर अक्टूबर में कीमतों में नरमी देखी गई थी लेकिन नवंबर के बाद से कीमतों में फिर से उछाल देखा जा रहा है. अल नीनो के चलते एशिया में चावल के फसल को बहुत नुकसान पहुंचा है. 


चावल की बढ़ती कीमतें में भारत सरकार परेशान 


भारत में भी चावल की कीमतों में बढ़ोतरी ने सरकार की परेशानी बढ़ा रखी है जिसके बाद हाल ही में सरकार ने राइस मिलों को चावल की कीमतों में कमी करने का आदेश दिया है. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में अब चार महीने से भी कम समय बचा है. ऐसे में चावल की कीमतों में उछाल से सरकार भी चिंतित है. 


एक साल में 15 फीसदी महंगा हुआ चावल 


डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के प्राइस मॉनिटरिंग डिविजन के डेटा के मुताबिक एक साल में चावल की कीमतों में 15 फीसदी के करीब उछाल देखने को मिला है. 21 दिसंबर, 2022 को इस डेटा के मुताबिक चावल का खुदरा मुल्य 37.99 रुपये प्रति किलो था जो 20 दिसंबर 2023 को बढ़कर 43.51 रुपये प्रति किलो पर जा पहुंचा है.  


चावल कंपनियों को कीमतें घटाने के आदेश 


18 दिसंबर 2023 को उपभोक्ता मामलों और खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के अधीन आने वाले खाद्य और आपूर्ति डिपार्टमेंट के सचिव संजीव चोपड़ा ने चावल प्रोसिंग इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों से साथ बैठक कर गैर-बासमती चावल की कीमतों की समीक्षा की. इस बैठक में इन प्रतिनिधियों से सचिव ने घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में तत्काल रूप से कटौती करने के आदेश देने के साथ ही मुनाफाखोरी से बचने की नसीहत दी गई. सरकार ने बीते 2 सालों में सालाना 12 फीसदी के दर से चावल की कीमतों में उछाल को लेकर अपनी चिंता जाहिर की.


चावल का घट सकता है उत्पादन


वैसे इस खरीफ सीजन में भारत में चावल के उत्पादन में बड़ी गिरावट की संभावना जाहिर की जा रही है. पिछले 8 सालों में पहली बार चावल के उत्पादन में कमी आ सकती है. भारत चावल का सबसे बड़े उत्पादक देश है और इसी साल जुलाई 2023 में सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों पर काबू पाने के लिए गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था.  


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