अर्थव्यवस्था के कुछ उत्साहजनक आंकड़े सामने आ रहे हैं लेकिन रिकवरी की कोई ठोस शक्ल नहीं दिख रही है. आर्थिक रिकवरी की धीमी रफ्तार की वजह से रिटेल लोन में डिफॉल्ट बढ़ने लगा है. रिकवरी में धीमेपन का एक सबूत यह है कि क्रेडिट कार्ड पेमेंट का भी डिफॉल्ट तेजी से बढ़ने लगा है.


कोरोना की वजह से स्लोडाउन का साया बरकरार 


कोविड संकट की वजह से सबसे अधिक डिफॉल्ट रिटेल लोन में हो रहा है. क्रेडिट ब्यूरो इन्फॉरमेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त महीने के अंत तक नब्बे दिनों के भीतर क्रेडिट कार्ड पेमेंट पर कर्ज का ओवरड्यू 0.51 फीसदी बढ़ कर 2.32 फीसदी हो गया था. प्रॉपर्टी अगेंस्ट लोन में डिफॉल्ट में 3.96 फीसदी इजाफा हुआ है. पिछले साल की तुलना में इसमें 0.34 फीसदी का इजाफा हुआ. रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटेल लोन, लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी और क्रेडिट कार्ड भुगतान में देरी से पता चलता है कि कोरोना स्लोडाउन का साया अब भी बरकरार है.


 वेतन कटौती और नौकरियां जाने का असर 


दरअसल महामारी के दौर में बड़े पैमाने पर लोगों के वेतन में कटौती हुई है. नौकरियों में कटौती की वजह से कर्ज डिफॉल्ट के मामले बढ़ रहे हैं. विश्लेषकों का कहना है कि फाइनेंशियल और वित्तीय संकट के इस दौर में यह समस्या अभी बरकरार रहेगी. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर कदम उठाने होंगे और वित्तीय मोर्चे पर सुधार करने होंगे उसके बाद ही इकनॉमी में थोड़ी रफ्तार की गुंजाइश बन सकती है.


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