नई दिल्लीः अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अच्छी खबर है. खुदरा महंगाई दर घटकर सवा चार फीसदी के करीब आ गयी है, वहीं उद्योग के बढ़ने की दर सात फीसदी के ऊपर बनी हुई है. हालांकि इन खबरों के बावजूद ब्याज दर में फिलहाल कमी के आसार नहीं.


सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च के महीने में खुदरा महंगाई दर 4.28 फीसदी दर्ज की गयी, जबकि फरवरी के महीने में ये 4.44 फीसदी थी. ज्यादा राहत की बात ये भी है कि खाने-पीने के सामान की खुदरा महंगाई दर 3.26 फीसदी से घटकर मार्च में 2.81 फीसदी पर आ गयी. महंगाई दर में गिरावट की एक बड़ी वजह फल और सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी की दर कम रहना है. पहले जहां ये देर 20 फीसदी से भी अधिक रह रही थी, वही मार्च के महीने मे सब्जियों के मामले में ये दर 11.7 फीसदी रही जबकि फल के मामले में पौने छह फीसदी के करीब. दाल की खुदरा महंगाई दर में गिरावट का सिलसिला जारी रहा और मार्च के महीने में गिरावट 13 फीसदी से कुछ अधिक रही.


बहरहाल, महंगाई की आशंकाओं को लेकर कोई कमी नहीं दिख रही. वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के साथ विभिन्न धातुओं के लगातार बढ़ते दाम. महंगाई दर की आशंकाओं के मद्देनजर रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति नीतिगत ब्याज दर घटाने के पक्ष में नहीं दिखती. सच्चाई तो ये है कि समिति के एक सदस्य तो खुदरा महंगाई दर बढ़ाने की सिफारिश कर दी. अब जब नीतिगत ब्याज दर में कमी नहीं होगी तो आप अपने घर कर्ज की ईएमआ में कमी की उम्मीद नहीं कर सकते.


औद्योगिक विकास दर
इस बीच फरवरी के महीने में उद्योग के बढ़ने की दर 7.1 फीसदी रही. हालांकि ये जनवरी के मुकाबले कम है. जनवरी में ये दर 7.5 फीसदी, दिसंबर में 7.1 फीसदी और नवंबर में 8.4 फीसदी थी.


उद्योग की विकास दर बढ़ाने में ससे अहम भूमिका मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रही. यहां विकास दर 8.7 फीसदी रही जबकि जनवरी मे भी ये दर 8.7 फीसदी ही थी. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के आगे बढ़ने का मतलब ये हुआ कि रोजगार के मौके पर अच्छी स्थिति रहेगी, क्योंकि यहां सबसे ज्यादा रोजगार के मौके बनते है. ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में यदि किसी व्यक्ति को सीधे-सीधे रोजगार मिलता है तो उसकी वजह से कम से कम चार लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है.