Retail Inflation Data : देश में महंगाई के मोर्चे पर अच्छी ख़बर सामने आ रही है. खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) में सितम्बर के मुकाबले अक्टूबर में घटी है. अक्तूबर माह में खुदरा महंगाई दर 3 महीने के निचले स्तर 6.77 प्रतिशत पर आ गई है. हालांकि यह सितंबर महीने में 5 महीने के उच्चतम स्तर 7.41 प्रतिशत से कम है.


थोक महंगाई में राहत


वहीं, थोक महंगाई के मोर्चे पर भी बड़ी राहत मिली है. वाणिज्य मंत्रालय ने थोक महंगाई का आंकड़ा पेश किया. इसमें पिछले 19 महीने में थोक महंगाई में बड़ी गिरावट देखी है और यह एक अंक में पहुंच गई है. आंकड़े के अनुसार, अक्टूबर माह में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर घटकर 8.39 प्रतिशत पर आ गई है. सितंबर में यह 10.7 प्रतिशत पर थी. सितंबर में थोक महंगाई दोहरे अंक में थी, लेकिन अक्टूबर में गिरकर एक अंक में आ गई है.


ये है वजह 


खुदरा महंगाई दर के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार यह गिरावट खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के कारण आई है. इस गिरावट के बावजूद अक्तूबर में खुदरा महंगाई दर 2 से 6 प्रतिशत के बीच के आरबीआई के टारगेट बैंड से ऊपर रही है. इस साल हर महीने महंगाई दर RBI के बैंड से ऊपर ही रही है. सूत्रों के अनुसार सप्लाई चेन में भी रुकावटें देखने को मिलीं, जिसके पीछे भू-राजनीतिक कारणों और कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है. इससे महंगाई पर दबाव बढ़ा. वहीं, अक्टूबर के लिए खाने की चीजों की महंगाई 7.01 फीसदी रही है, जो पिछले महीने 8.6 फीसदी पर मौजूद थी.


क्या रही है RBI की रेपो रेट 


भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी नीतिगत दरों की घोषणा के लिए खुदरा महंगाई की दर को एक पैमाने के रूप में लेती है. अनुमान है कि यह 7 फीसदी से कम रह सकती है. इसी खुदरा महंगाई दर के आधार पर रिजर्व बैंक रेपो रेट का ऐलान करता है. मई से सितंबर तक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 1.90 बेसिस पॉइंट तक का इजाफा किया है. अभी रेपो रेट 5.90 परसेंट है जो कि खुदरा महंगाई दर पर आधारित है. रेपो रेट में बढ़ोतरी इसलिए देखी जा रही है, क्योंकि खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के टोलरेंस रेट 6 फीसदी से ऊपर चल रही है.


क्या है CPI आधारित महंगाई 


कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स (CPI) पर आधारित महंगाई सामान और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करती है, जिन्हें परिवार अपने रोजाना इस्तेमाल के लिए खरीदते हैं. महंगाई को मापने के लिए, अनुमान लगाया जाता है कि पिछले साल की समान अवधि के दौरान सीपीआई में कितने फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 


ग्रामीण, शहरी आंकड़े होते हैं तैयार 


RBI देश की अर्थव्यवस्था में कीमतों में स्थिरता रखने के लिए इस आंकड़े को देखता है. CPI में एक विशेष कमोडिटी के लिए रिटेल कीमतों को देखा जा सकता है. इन्हें ग्रामीण, शहरी और पूरे भारत के स्तर पर देखा जाता है. एक समयावधि के अंदर प्राइस इंडेक्स में बदलाव को सीपीआई आधारित महंगाई या फिर खुदरा महंगाई भी कहा जाता है.


सितंबर में 7.41 फीसदी रही 


सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.41 फीसदी पर जा पहुंची है. अगस्त में 7 फीसदी और जुलाई में खुदरा महंगाई दर 6.71 फीसदी रही थी. एक वर्ष पूर्व सितंबर 2021 में खुदरा महंगाई दर 4.35 फीसदी रही थी. खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में भी उछाल देखने को मिला है. सितंबर महीने में खाद्य महंगाई दर 8.60 फीसदी पर जा पहुंचा है जो अगस्त में 7.62 फीसदी था. सितंबर महीने में महीने में शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों में खाद्य महंगाई दर में उछाल आया है.


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