RBI Rupee Defence Plan: लगातार मजबूत होते अमेरिकी डॉलर (USD) से दुनिया भर की करेंसीज (Global Currencies) की हालत खराब हो रही है. बाकियों की तुलना में तुलनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में होने के बाद भी भारतीय करेंसी (Indian Currency) भारी नुकसान में है. पिछले कुछ सालों के दौरान रुपये के भाव में जबरदस्त गिरावट आई है. हालात ऐसे हैं कि रिजर्व बैंक के तमाम उपाय भी रुपये को बचाने में नाकाफी साबित हो रहे हैं.


हर रोज हुआ इतना बड़ा हस्तक्षेप


ताजा आंकड़े बताते हैं कि समग्र आधार पर रिजर्व बैंक ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 212.57 बिलियन डॉलर खर्च किया, जबकि दूसरी ओर 187.05 बिलियन डॉलर की खरीदारी की. इस तरह पिछले वित्त वर्ष के दौरान आरबीआई ने रुपये की उथल-पुथल को संभालने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में कुल 399.62 बिलियन डॉलर का हस्तक्षेप किया. अगर साप्ताहिक समेत अन्य छुट्टियों को हटा दें तो पिछले वित्त वर्ष के दौरान आरबीआई का हर रोज का औसत हस्तक्षेप 1.6 बिलियन डॉलर यानी करीब 13,260 करोड़ रुपये बैठता है.


रुपये के भाव में इतनी आई गिरावट


रिजर्व बैंक के द्वारा इतने बड़े स्तर पर दखल देने के बाद भी पिछले वित्त वर्ष के दौरान रुपये के भाव में काफी गिरावट आई. अभी रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 83 के भाव पर है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान जुलाई महीने में रुपया डॉलर के मुकाबले गिरकर पहली बार 80 के भी पार निकला था. 31 मार्च को समान्त हुए वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये के भाव में 7.8 फीसदी की गिरावट आई.


अभी इतना है विदेशी मुद्रा भंडार


भारतीय मुद्रा 'रुपया (INR)' के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है. रुपये की वैल्यू (Indian Rupee Value) पिछले कुछ समय के दौरान बड़ी तेजी से कम हुई है. रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार के देखें तो यह सितंबर 2021 की शुरुआत में 642.450 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था. पिछले वित्त वर्ष के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 60 बिलियन डॉलर की गिरावट आई थी. हालांकि अभी यह फिर से कुछ सुधरा है और अप्रैल के अंत में 600 बिलियन डॉलर के पास पहुंच गया है.


ऐसे नियंत्रण रखता है आरबीआई


रिजर्व बैंक अपने पास रखे विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल रुपये की चाल को संभालने में करता है. जब रुपये की कीमत तेजी से गिर रही होती है तो रिजर्वबैंक अपने भंडार से डॉलर निकालकर उन्हें बाजार में झोंक देता है. वहीं जब रुपये की चाल सुधरी रहती है, तब सेंट्रल बैंक भंडार को मजबूत बनाने पर ध्यान देने लगता है. रिजर्व बैंक ने पिछले साल कहा था कि रुपये की तेज गिरावट की स्थिति में वह बाजार में करीब 100 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा झोंक सकता है.


यहां तक गिर सकता है रुपया


बाजार के जानकारों का कहना है कि रुपया डॉलर के मुकाबले फिलहाल 83 पर स्थिर होता दिख रहा है, लेकिन ऐतिहासिक ट्रेंड और मौजूदा हालात से इस बात का इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले 85 के पार निकल जाए. पिछले 7-8 सालों के दौरान रुपये के भाव में 25 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है.


ये भी पढ़ें: मौसम नहीं है मेहरबान, वित्त मंत्रालय को अर्थव्यवस्था के लिए सता रहे ये डर!