भारत में अर्थव्यवस्था के आकार में बढ़ोतरी के साथ-साथ कारोबार व कारोबारी गतिविधियों में भी तेजी आ रही है. बदलते माहौल में लगातार नई कंपनियां बनाई जा रही हैं. इसका पता पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े से चलता है, जब देश में नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन का नया रिकॉर्ड बन गया.


सामने आईं इतनी नई कंपनियां


कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को कंपनियों और एलएलपी के रजिस्ट्रेशन से जुड़ा आंकड़ा शेयर किया. आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश में 1,85,314 नई कंपनियां पंजीकृत हुईं. यह किसी भी एक वित्त वर्ष के दौरान नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन का सबसे बड़ा आंकड़ा है. यह एक साल पहले यानी वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान रजिस्टर्ड हुईं 1,59,339 कंपनियों की तुलना में 16.3 फीसदी ज्यादा है.


एलएलपी के रजिस्ट्रेशन का रिकॉर्ड


मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किए गए अपडेट में बताया कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान सिर्फ नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन का रिकॉर्ड नहीं बना, बल्कि एलएलपी यानी लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप के रजिस्ट्रेशन का भी रिकॉर्ड बन गया. वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश में 58,990 एलएलपी का रजिस्ट्रेशन हुआ. यह एलएलपी के रजिस्ट्रेशन का ऑल टाइम हाई लेवल है और साल भर पहले की तुलना में 62.7 फीसदी ज्यादा है. वित्त वर्ष 2022-23 में देश में 36,249 एलएलपी का रजिस्ट्रेशन हुआ था.


ग्लोबल मार्केट में छाई रहीं चुनौतियां


विशेषज्ञों का कहना है कि नई कंपनियों और एलएलपी के रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड आंकड़े देश के बेहतर कारोबारी माहौल के बारे में बताते हैं. पिछले वित्त वर्ष के दौरान दुनिया भर में कारोबार करने के माहौल में गिरावट आई. भू-राजनीतिक तनावों, सुस्त होती इकोनॉमिक ग्रोथ जैसे फैक्टर्स ने माहौल को खराब किया और उनके चलते बड़ी-बड़ी कंपनियों को भी छंटनी करने पर मजबूर होना पड़ा, जबकि कई नई कंपनियां चुनौतियों का शिकार होकर बंद हो गईं.


इन कारणों से तेज हुआ पंजीयन


ऐसे माहौल में दूसरी ओर भारत में रिकॉर्ड संख्या में नई कंपनियों और एलएलपी का रजिस्ट्रेशन हुआ. यह बताता है कि प्रतिकूल विदेशी माहौल के बाद भी देश में कारोबारी धारणा में सुधार हुआ है. अर्थव्यवस्था और उसकी वृद्धि पर लोगों का भरोसा मजबूत हुआ है. ईटी की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने और कम्लायंस का बोझ कम करने से भी नई कंपनियों को प्रोत्साहन मिला है.


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