Sovereign Green Bonds: दिसंबर महीने में भारतीय रिजर्व बैंक ( Reserve Bank Of India) सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (Sovereign Green Bonds) के पहले बैच को बेचने की तैयारी कर रहा है. डिडिकेटेड ग्रीन फंड्स के साथ विदेशी पोर्टोफोलियो निवेशकों ( Foreign Portfolio Investors) , स्थानीय बैंकों ( Local Banks) , बीमा कंपनियों ( Insurance Companies) के साथ दिसंबर के मध्य में सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड की नीलामी के लिए बातचीत चल रही है. सरकार 10 साल के बॉन्ड के यील्ड के मुकाबले 2 से 5 बेसिस प्वाइंट के डिस्काउंट रेट्स ( Discount Rates)  पर ये बॉन्ड जारी कर सकती है. 


सरकार सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड के जरिए सरकार 31 मार्च 2023 तक 2 अरब डॉलर यानि 16,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है. सरकार मौजूद वित्त वर्ष में उधारी कार्यक्रम के तहत कर्ज के जरिए 175 अरब डॉलर जुटाने वाली है. सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड से जुटाये जाने वाले रकम के जरिए उधार के लागत को कम करने में मदद मिलेगी. विदेशी निवेशक फुली एक्सेसिबल रूट के जरिए सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड खरीद सकते हैं. 


इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitaraman) ने बुधवार को देश के पहले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड फ्रेमवर्क (Sovereign Green Bonds Framework) को मंजूरी दे दी. सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी कर जुटाये जाने वाले रकम को सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में लगाया जाएगा.  इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ग्रीन बॉन्ड जारी किया जा सकता है. ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को ध्यान में रखते हुए ये बॉन्ड लंबी अवधि वाले होंगे. 2022-23 के लिए बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने  सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी कर ग्रीन प्रोजेक्ट्स के लिए रिसोर्सेज जुटाने की बात कही थी.


सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड ऐसे फाइनैंशियल इंस्ट्रूमेंट्स है जिससे पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और जलवायु-उपयुक्त परियोजनाओं में निवेश के लिए धन जुटाये जाते हैं. सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड नियमित बॉन्ड की तुलना में लागत को कम करती है. 


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