बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों से हर किसी को मतलब होता है. हालांकि इसके साथ ही लोगों को कई बार परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है. बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान कोई सर्विस देने से मना करें या किसी भी तरह की दिक्कत आए, ऐसे में लोगों की शिकायतों का समाधान निकालने की व्यवस्था की गई है. अब रिजर्व बैंक ने ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने की प्रक्रिया आसान बनाने का ऐलान किया है. इससे अब लोगों की परेशानियां जल्दी और आसानी से दूर होंगी.


आरबीआई गवर्नर ने दी ये जानकारी


रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक के बाद शुक्रवार को कई अहम फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने रेपो रेट को स्थिर रखने की जानकारी देते हुए बताया कि एमपीसी ने आम लोगों को बैंकिंग में होने वाली दिक्कतों का संज्ञान लिया है. बैंकिंग चैनल में आम लोगों को होने वाली परेशानियों को दूर करने और उनकी शिकायतों पर काम करने की प्रक्रिया इसी कारण आसान बनाई जा रही है.


अभी ऐसी है ओम्बड्समैन की व्यवस्था


इसके लिए बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रुमेंट्स और क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों के लिए इंटरनल ओम्बड्समैन स्कीम में बदलाव किया गया है. आपको बता दें कि अभी लोगों की शिकायतें दूर करने के लिए रिजर्व बैंक की ओम्बड्समैन व्यवस्था काम आती है. इसके तहत दो चैनल होते हैं. एक चैनल बैंकों व वित्तीय संस्थानों में होता है, जिसे इंटरनल ओम्बड्समैन स्कीम कहते हैं. दूसरा चैनल रिजर्व बैंक ओम्बड्समैन स्कीम है.


ओम्बड्समैन फ्रेमवर्क में ये बदलाव


मौजूदा व्यवस्था में इंटरनल ओम्बड्समैन स्कीम की प्रक्रियाएं सभी तरह के वित्तीय संस्थानों में एक समान नहीं थी. आरबीआई गवर्नर ने बताया कि फिलहाल बैंकों, एनबीएफसी, पीपीआई, सीआईसी आदि के लिए इंटरनल ओम्बड्समैन फ्रेमवर्क के गाइडलाइंस अलग-अलग हैं. इन गाइडलाइंस के फीचर एक जैसे होते हुए भी कई मायनों में अलग थे. अब निर्णय लिया गया है कि इन गाइडलाइंस को हर तरह के वित्तीय संस्थानों के लिए एक समान बनाया जाएगा. यह बैंकिग सिस्टम के रेगुलेटेड एंटिटीज में ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने की व्यवस्था को मजबूत बनाएगा.


अर्बन को-ऑपरेटिव्स को ये तोहफा


रिजर्व बैंक ने एक अन्य अहम ऐलान बुलेट रीपेमेंट स्कीम को लेकर किया. गवर्नर दास ने बताया कि अब चुनिंदा शहरी सहकारी बैंकों के लिए बुलेट रीपेमेंट स्कीम के तहत गोल्ड लोन की लिमिट को अभी के 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये करने का फैसला किया गया है. इसका फायदा सिर्फ उन शहरी सहकारी बैंकों को होगा, जिन्होंने 31 मार्च 2023 तक प्रॉयरिटी सेक्टर को कर्ज देने के ओवरऑल टारगेट और सब-टारगेट को पूरा किया है. यह एक तरह से रिजर्व बैंक के द्वारा विभिन्न सेक्टरों को कर्ज देने का लक्ष्य पाने वाले शहरी सहकारी बैंकों को प्रोत्साहन देना है.


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