रिजर्व बैंक ने त्योहारों से ऐन पहले शहरी सहकारी बैंकों को शानदार तोहफा दिया है. दरअसल सेंट्रल बैंक ने बुलेट पेमेंट स्कीम में बदलाव किया है और अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों के लिए गोल्ड लोन के नियमों को आसान बनाया है. इसके बाद अब कई शहरी सहकारी बैंकों को ज्यादा लिमिट तक गोल्ड लोन देने की मंजूरी मिली है.


आरबीआई गवर्नर ने दी जानकारी


रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की यह बैठक बुधवार को शुरू हुई थी. तीन दिनों की बैठक पूरी होने के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर ने अहम फैसलों की जानकारी दी. इस एमपीसी बैठक में रेपो रेट के अलावा कई अहम फैसले लिए गए. उन फैसलों में बुलेट पेमेंट स्कीम में बदलाव भी शामिल है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने फैसलों का ऐलान करते हुए कहा कि अब बुलेट पेमेंट स्कीम के तहत शहरी सहकारी बैंक 4 लाख रुपये तक का गोल्ड लोन दे सकेंगे. अभी तक उन्हें 2 लाख रुपये तक के गोल्ड लोन की ही मंजूरी थी.


सिर्फ ऐसे बैंकों को मिली छूट


हालांकि इस बदलाव का फायदा चुनिंदा शहरी सहकारी बैंकों को ही होने वाला है. आरबीआई गवर्नर ने साफ कहा कि इसका फायदा सिर्फ उन शहरी सहकारी बैंकों को होगा, जिन्होंने 31 मार्च 2023 तक प्रॉयरिटी सेक्टर को कर्ज देने के ओवरऑल टारगेट और सब-टारगेट को पूरा किया है. यह एक तरह से रिजर्व बैंक के द्वारा विभिन्न सेक्टरों को कर्ज देने का लक्ष्य पाने वाले शहरी सहकारी बैंकों को प्रोत्साहन देना है.


इन्हें होगा बदलाव का फायदा


रिजर्व बैंक के इस फैसले से शहरी सहकारी बैंकों को काफी फायदा होने वाला है. ऐसे लोगों की संख्या काफी है, जो अपनी बैंकिंग जरूरतों के लिए सहकारी बैंकों पर निर्भर हैं. इस बदलाव से उन्हें भी फायदा होने वाला है. सहकारी बैंकों को फायदा होगा कि वे अब ज्यादा लोन दे सकेंगे, वहीं ग्राहकों के पास विकल्प बढ़ेंगे. खासकर छोटे व मध्यम कर्ज लेने वाले इससे लाभान्वित होने वाले हैं.


2007 में शुरू हुई ये स्कीम


आरबीआई ने बुलेट पेमेंट स्कीम के तहत गोल्ड लोन को सबसे पहले 2007 में मंजूरी दी थी. तब सेंट्रल बैंक ने इस स्कीम के तहत 1 लाख रुपये तक के लोन की मंजूरी दी थी. बाद में रिजर्व बैंक ने 2014 में लिमिट बढ़ा दी. 2014 से अभी तक यह लिमिट 2 लाख रुपये की थी. अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक बुलेट पेमेंट स्कीम या ईएमआई पेमेंट रूट के जरिए 12 महीने के लिए गोल्ड लोन दे सकते हैं.


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