RBI Rate Cut: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) एक बार फिर से ब्याज दर में कटौती कर सकता है. बैंक के मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की अगले महीने अप्रैल में होने वाली है. इसके नतीजों का ऐलान 9 अप्रैल को किया जाएगा. देश में रिटेल इंफ्लेशन में भले ही कमी आई हो, लेकिन ग्रोथ की रफ्तर सुस्त होने के चलते केंद्रीय बैंक के पास इंटरेस्ट रेट को कम करने के अलावा और कोई चारा नहीं है. 

हालिया आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है कि देश में बेलगाम महंगाई को अब काबू में कर लिया गया है. सीपीआई इंफ्लेशप अब 3.6 परसेंट पर आ गया है, जो बीते 7 महीनों में सबसे कम है. सब्जियों की कीमतें भी काफी कम हुई हैं, जिससे फूड इंफ्लेशन में भी गिरावट का रूख जारी है. रिजर्व बैंक का इंफ्लेशन 4 परसेंट का टारगेट अब कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत बनने जा रहा है. 

6 परसेंट तक घट सकता है रेपो रेट

18-27 मार्च के बीच रॉयटर्स की एक सर्वे में 60 में से 54 अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया कि आरबीआई 7-9 अप्रैल की अपनी बैठक में अपनी बेंचमार्क रेपो रेट को 25 बेसिस प्वॉइंट्स घटाकर 6 परसेंट कर सकता है. इससे पहले मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस प्वॉइंट्स की कटौती कर इसे 6.25 परसेंट कर दिया गया था. यह पांच साल में रेपो रेट में हुई पहली कटौती थी.

इंडिया रेटिंग्स और रिसर्च (Ind-Ra) के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 में ब्याज दर में तीन बार कटौती होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो टोटल 75 बेसिस प्वॉइंट्स के बराबर होगी. द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक Ind-Ra चीफ इकोनॉमिस्ट और पब्लिक फाइनेंस के हेड डीके पंत ने कहा, मॉनिटरी पॉलिसी का फैसला महंगाई, लिक्विडिटी और विश्व स्तर पर चीजों की कीमतों पर निर्भर होगा. 

क्या होता है रेपो रेट? 

बता दें कि रेपो रेट वह रेट है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक कमर्शियल बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों के बदले लोन देता है ताकि लिक्विडिटी की अपनी जरूरतों को पूरा किया जा सके. रेपो रेट कम होता है, जो लोन सस्ता हो जाता है. इससे ईएमआई का प्रेशर भी काफी हद तक कम हो जाता है. 

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