India Inflation Data: साल 2022 में महंगाई ने आम लोगों को चौतरपा परेशान किया है. पेट्रोल-डीजल सीएनजी रसोई गैस से लेकर खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई ने तो परेशान किया ही साथ में कर्ज महंगा होने के चलते ईएमआई भी महंगी हो गई. लेकिन आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि महंगाई का खराब दौर अब पीछे छूट चुका है.
महंगाई का बुरा दौर छूटा पीछे
मॉनिटरी पॉलिसी के एलान के बाद प्रेस कॉंफ्रेंस में आरबीआई गर्वनर ने कहा कि कमोडिटी से लेकर कच्चे तेल के दामों में लगातार गिरावट देखी जा रही है जिसके चलते वैश्विक स्तर पर महंगाई कम हो रही है. पर साथ में उन्होंने ये भी कहा कि महंगाई के मोर्चे पर अच्छी खबरों के बावजूद अभी ढिलाई नहीं बरती जा सकती है. उन्होंने कहा, ''महंगाई हमारे यहां और विश्व स्तर पर कम हो रही है, लेकिन हमें अत्यधिक सतर्क रहना होगा. यदि जरूरी हो तो हमें कार्रवाई भी करनी होगी. इसलिए मैं कहता हूं कि मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई खत्म नहीं हुई है और आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं है.'' आरबीआई गर्वनर ने महंगाई दर के पूर्वानुमान में कमी का बचाव करते हुए कहा कि आंकड़े इस ओर संकेत दे रहे हैं कि मुद्रास्फीति का सबसे बुरा दौर पीछे छूट चुका है. उन्होंने कहा कि आरबीआई घरेलू परिस्थितियों और आने वाले आंकड़ों पर अपनी नजर बनाए रखेगा.
महंगाई दर में कमी लाने पर फोकस
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक का प्रयास पहले मुद्रास्फीति को 6 फीसदी के संतोषजनक स्तर से नीचे लाना है. रेपो दर में 0.50 फीसदी के बजाय 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी आरबीआई की ओर से नरमी के संकेत के रूप में देखा जाना चाहिए. हालांकि उन्होंने ये भी कहा, ''मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और इसलिए हमारा तटस्थ रुख है. महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने नीतिगत दर में बदलाव की मात्रा को कम कर दिया है. यह सबसे अहम बात है.''
भारत दुनिया में उम्मीद की एक किरण
आरबीआई गर्वनर ने ये भी कहा कि वृद्धि के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो इस ‘निराशावादी’ दुनिया में भारत उम्मीद की एक किरण के रूप में दिखाई दे रहा है. दुनिया के कई देशों में मंदी की भी आशंका है. आपको बता दें बीते 8 महीने में मई 2022 के बाद से महंगाई दर में भारी उछाल के चलते आरबीआई रेपो रेट में 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है.
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