क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करने आने वाले दिनों में और सुरक्षित हो जाएगा. बैंकिंग नियामक आरबीआई ग्राहकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार नियमों में बदलाव करते रहता है. अब रिजर्व बैंक एक और ऐसी तैयारी कर रहा है, जिससे क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड का इस्तेमाल पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा.


अगले अगस्त से अमल का प्रस्ताव


आरबीआई की तैयारी है कि पेमेंट एग्रीगेटर ग्राहकों के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से जुड़ी सूचनाएं स्टोर नहीं कर पाएं. इसके लिए रिजर्व बैंक ने ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है. ड्राफ्ट सर्कुलर में कहा गया है कि क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की जानकारियों को स्टोर करने से जुड़े नए नियम 1 अगस्त 2025 से लागू किए जाएंगे.


क्या कहते हैं प्रस्तावित नियम?


नए नियमों में ये व्यवस्था की गई है कि पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियां ग्राहकों के कार्ड के डिटेल्स को सेव नहीं करेंगी. नए ड्राफ्ट रूल्स के अनुसार, पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों को डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स ऑन फाइल (सीओएफ) डेटा को अपने पास स्टोर करने की मंजूरी नहीं होगी. नियमों के लागू होने के बाद कार्ड की जानकारियां सिर्फ कार्ड जारी करने वाले और कार्ड नेटवर्क देने वाले के पास रह सकती हैं.


इन्हें मिलती रहेगी डेटा रखने की छूट


क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड बैंकों के द्वारा जारी किए जाते हैं. वहीं कार्ड नेटवर्क प्रोवाइड करने वालों में वीजा, मास्टरकार्ड, डाइनर्स क्लब, रूपे आदि नाम प्रमुख हैं. मतलब 1 अगस्त 2025 से नए नियमों के लागू होने के बाद सिर्फ बैंक और वीजा, मास्टरकार्ड, डाइनर्स क्लब, रूपे आदि जैसे कार्ड नेटवर्क प्रोवाइडर ही कार्ड्स ऑन फाइल डेटा को अपने पास स्टोर कर सकेंगे.


सिर्फ ये जानकारियां कर पाएंगे स्टोर


आरबीआई ने नियमों के मसौदे में ये भी कहा है कि अगर पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों या अन्य निकायों ने पहले से कार्ड से जुड़ी किन्हीं जानकारियों के अपने पास स्टोर किया है, तो उन्हें डेटा डिलीट करना होगा. वे ट्रांजेक्शन को ट्रैक करने या उनका मिलान करने के लिए सिर्फ सीमित जानकारियों जैसे कार्ड नंबर के आखिरी चार अंक या कार्ड होल्डर का नाम ही अपने पास सेव कर सकती हैं.


अभी फाइनल नहीं हैं ये नियम


हालांकि अभी आरबीआई ने इन नियमों को अंतिम रूप प्रदान नहीं किया है. अभी नियमों का सिर्फ मसौदा जारी हुआ है. अब विभिन्न पक्षों को आरबीआई की ओर से मौका मिलेगा कि वे प्रस्तावित नियमों पर अपने सुझाव दें. उनके सुझावों पर गौर करने के बाद आरबीआई के द्वारा इन नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा और उसके बाद फाइनल सर्कुलर जारी होगा.


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