Raymond Brand: 2025 में गार्मेंट्स के क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रेमंड अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रही है. देश की सबसे पुरानी कंपनियों में से एक रेमंड्स के लिए ये एक ऐतिहासिक माइलस्टोन साबित होने वाला है. रेमंड की शूटिंग और सर्टिंग के दिवाने ना केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मौजूद हैं. शूटिंग-सर्टिंग के मामले में रेमंड का देश में 60 फीसदी बाजार पर कब्जा है साथ ही कंपनी देश की सबसे बड़ी वुलेन फैब्रिक मेकर भी है. 


पूरे देश में मौजूद है रेमंड 


रेमंड के डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क ऐसा है कि भारत के हर छोटे बड़े शहर में मल्टी ब्रांड आउटलेट के साथ 500 से ज्यादा शहरों में 900 से ज्यादा एक्सक्लूसिव रिटेल स्टोर्स और 30,000 से ज्यादा रिटेलर्स के जरिए रेमंड ब्रांड के कपड़े देशभर में उपलब्ध है. आप ये जानकार हैरान हो जायेंगे कि आर्थिक उदारीकरण के बाद मल्टी ब्रांड और सिंगल ब्रांड शोरूम का चलन देश में शुरू हुआ. लेकिन रेमंड ऐसा ब्रांड है जिसका आजादी के नौ साल बाद ही 1958 में मुंबई के बलॉर्ड एस्टेट के किंग्स कॉर्नर में पहला एक्सक्लूसिव रिटेल शोरूम खुल चुका था. रेमंड दुनिया के 55 देशों में मौजूद है जिसमें अमेरिका, कनाडा, जापान के अलावा कई यूरोपीय देश शामिल हैं. रेमंड के सूटिंग फैब्रिक के 20,000 से ज्यादा डिजाइन और कलर्स है. ये इकलौटी कंपनी है जिसकी इतनी संख्या में डिजाइन से लेकर कलर्स है. 


शादियों में रेमंड ब्रांड की धूम


इस बात से भी आपको हैरानी होगी भारत में शादियों के दौरान वर पक्ष के लोगों की ख्वाईस होती है कि दूल्हे और उसके रिश्तेदारों के लिए सूट-बूट का ब्रांड रेमंड ही हो. ठंड के लिए वूलेन फैब्रिक का सूट-बूट सिलाना हो तो रेमंड सबकी पहली पसंद होती है. रेमंड अपने रेंज के जरिए समाज के हर बड़े-छोटे वर्ग को कैटर करता है. 


रेमंड का इतिहास 


1925 में मुंबई के नजदीक ठाणे में अब्राहम जैकब रेमंड ने रेमंड वुलेन मिल के नाम से छोटे वुलेन मिल की स्थापना की थी. कंपनी के फाउंडर के नाम से रेमंड जुड़ा था उसी से कंपनी और ब्रांड का नाम रेमंड पड़ा. 1944 में लाला कैलाशपत सिंघानिया ने रेमंड को खरीद लिया. तब कंपनी रेमंड ब्लैंकेट्स, सस्ते वुलेन गार्मेंट्स तैयार करती थी. लेकिन जल्द ही नए टेक्नोलॉजी को अपनाकर रेमंड ने विस्तार करना शुरू किया. तभी भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्रता हासिल हुई थी. उसके बाद की जरुरतों और आत्मनिर्भरता को ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत की. 


टेक्नोलॉजी अपनाने में रेमंड का सानी नहीं


1952 में गोपालकृष्ण सिंघानिया अपने चाचा कैलाशपत सिंघानिया की कारोबार में मदद करने के लिए पहुंचे.  1958 में रेमंड पहली कंपनी बन गई जिसने पोलिएस्टर के साथ ऊन को ब्लेंड करना शुरू किया और टीरूल को लेकर आई है. इसके चलते कंपनी ने एक से बढ़कर एक ब्लेंडेड फैब्रिक को लॉन्च करना शुरू कर दिया. कंपनी ने इसी वर्ष अपना पहला रिटेल स्टोर भी मुंबई में खोला. 1960 में कंपनी ने सभी पुरानी मशीनों को हटाकर लेटेस्ट मशीनें लेकर आई. रेमंड आधुनिक मशीनें इस्तेमाल करनी वाली तब देश की पहली कंपनी बनी थी.  1967 में गर्मी के लिए रेमंड ने ट्रोवाइन नाम से फैब्रिक को लॉन्च किया. 1968 में थाणे में ही कंपनी ने रेडीमेड गार्मेट्स प्लांट की स्थापना की. 1979 में जलगांव में भी नया प्लांट लगाया.  


विजयपत सिंघानिया के दौर में कंपनी ने भरी उड़ान 


1980 में कैलाशपत सिंघानिया के बेटे डॉक्टर विजयपत सिंघानिया रेमंड के चेयरमैन बन गए जिन्होंने हॉवर्ड से पढ़ाई की थी. 1984 में उनके नेतृत्व में नया प्लांट सेटअप किया गया तो 1986 में पार्क एवेन्यू ब्रांड को लॉन्च किया गया जो आज सबकी जुबान पर है. 1990 में ओमान में रेमंड ने विदेश में अपना पहला शोरूम खोला. 1991 में कंपनी ने कामसूत्र के नाम से प्रीमियम कंडोम ब्रांड को लॉन्च किया जो लॉन्च के एक साल के भीतर देश की दूसरी बड़ी कंडोम ब्रांड बन गई.  1996 में कंपनी ने कॉरपोरेट एयर ट्रैवलर्स के लिए एयर चार्टर सर्विस को लॉन्च किया. 1996 में डेनिम मैन्युफैक्चरिंग की शुरूआत हुई. 1999 में पार्क्स ब्रांड के नाम से कैजुअल वीयर ब्रांड को लॉन्च किया गया. आपको बता दें कॉलरप्लस फैशन भी रेमंड की ही ब्रांड है जिसे 2002 में कंपनी ने अधिग्रहण किया था.  


2000 से गौतम सिंघानिया के पास कमान 


साल 2000 में विजयपत सिंघानिया ने अपने बेटे गौतम सिंघानिया को चेयरमैन बनाकर कंपनी की कमान सौंप दी जिनके नेतृत्व में रेमंड नई उंचाईयों को छू रही है. 2019 में कंपनी ने रियल एस्टेट  सेक्टर में भी कदम रख दिया. गुरुवार 27 अप्रैल को ये खबर आई कि गोदरेज कंज्यूमर, रेमंड ग्रुप की एफएमसीजी कंपनी रेमंड कंज्यूमर केयर लिमिटेड के पार्क एवेन्यू और कामसूत्र जैसे कंज्यूमर केयर बिजनेस का अधिग्रहण करने जा रही है. 2825 करोड़ रुपये में हुई ये डील 10 मई 2023 तक पूरी कर ली जाएगी. दरअसल रेमंड इसे कोर बिजनेस नहीं मानती है इसलिए कंपनी इस बिजनेस से बाहर निकल रही है. कंपनी अब पूरा फोकस टेक्सटाईल बिजनेस भी करना चाहती है.  


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