नई दिल्लीः सरकार ने ऐलान किया कि वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी लागू होने के बाद निर्यातकों को साढ़े 17 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का रिफंड दे दिया गया है. दूसरी ओर सरकार का ये भी दावा है कि फरवरी के महीने में जीएसटी से कुल कमाई घटी नहीं, बल्कि बढ़ी और 90 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गयी.


पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था जीएसटी पहली जुलाई से लागू की गयी. इसके तहत केद्र व राज्य सरकार के 17 तरह के कर और 23 तरह के सेस को मिला कर पूरे देश में एक वस्तु या सेवा पर एक ही दर से कर लगाने का फैसला किया गया. इस समय अलग-अलग वस्तुओं व सेवाओं पर 0.25, 3, 5, 12, 18 और 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाता है. 28 फीसदी की दर वाले कुछ वस्तु व सेवाएं जैसे गाड़ी और लग्जरी आइटम पर अलग से सेस भी लगाया जाता है.


निर्यातकों को रिफंड


वित्त व राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया ने जानकारी दी कि जीएसटी लागू होने के बाद निर्यातकों के कुल बकाये (इंटिग्रेटेड जीएसटी यानी आईजीएसटी और इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी आईटीसी) को लेकर गलत आंकड़े सार्वजनिक किए जाते रहे. कभी ये आंकड़ा 60 हजार करोड़ रुपये तो कभी 90 हजार करोड़ रुपये बताया गया. जबकि वास्तविक में कुल बकाया 24,824 करोड़ रुपये का था. इस बकाये के भुगतान को लेकर सरकार ने 15 मार्च से 31 मार्च के बीच विशेष अभियान चलाया और कुल बकाये में से 17,616 करोड़ रुपये का रिफंड कर दिया, बाकी रिफंड भी जल्द ही पूरा हो जाएगा.


महीने दर महीने जीएसटी से कमाई
अढ़िया ने इस मौके पर 31 मार्च को खत्म हुए कारोबारी साल 2017-18 के आठ महीने के दौरान जीएसटी से कमाई की वास्तविक तस्वीर भी पेश की. चूंकि पहले आंकड़े 25-26 तारीख तक के होते थे, इसीलिए कई बार ऐसा लगा कि कमाई घट रही है, लेकिन वास्तव में कमाई बढ़ी ही है. उन्होंने फरवरी का खास तौर पर जिक्र करते हुए कहा कि पहले 25 मार्च तक के उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से कुल कमाई 86 हजार करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा होने की बात कही गयी. इससे लगा कि लगातार दूसरे महीने कमाई घटी है. लेकिन अब वास्तविक स्थिति ये है कि फरवरी के महीने मे 28 दिन होने के बावजूद जीएसटी से कमाई 90 हजार करोड़ रुपये के करीब हो गयी, और ये जनवरी के मुकाबले ज्यादा है. 28 दिन के फरवरी का जिक्र करना यहां इसीलिए भी जरुरी है, क्योंकि जीएसटी उत्पादन के बजाए खपत आधारित कर व्यवस्था है.


कर देने वालों की ताजा स्थिति
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कुल मिलाकर 64 लाख पुराने कर दाता जीएसटी की नयी व्यवस्था में शामिल हुए जबकि करीब 36 लाख नए. इस तरह जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन कराने वालों की संख्या 1 करोड़ के पार चली गयी है. शुरुआती दिनों में जीएसटी पोर्टल को लेकर काफी परेशानी हुई थी. लेकिन बतौर अढिया और जीएसटीएन के चेयरमैन अजय भूषण प्रसाद पांडेय के मुताबिक, अब स्थिति बेहतर है. जीएसटी लागू होने से लेकर अब तक 8.39 करोड़ रिर्टन की जांच हुई जबकि 239 करोड़ बिलों का मिलान हुआ. अढिया का दावा है कि जीएसटी अब काफी स्थिर हो चुका है और नए कारोबारी साल में जीएसटी से कमाई और बढ़ेगी, क्योंकि ई वे बिल जैसी कर चोरी रोकने वाली व्यवस्था लागू कर दी गयी है.