5 Trillion Dollar Economy: आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने एक बार फिर से भारत सरकार की नीतियों और दावों पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि भारत में विकास की स्थिति ऐसी है कि दिल्ली-गुड़गांव जैसी चंद जगहें विकसित हो चुकी हैं. बाकी का देश अफ्रीका के उन देशों जैसा है, जहां विकास आज तक नहीं पहुंच पाया. उन्होंने कहा कि देश के सामने यह असंतुलित विकास एक बड़ी चुनौती है. हमें 2047 तक विकसित देश बनने से पहले इस गैप को मिटाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.

  


5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का दावा 


हाल ही में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दावा किया था कि 2047 तक देश विकसित हो जाएगा. जल्द ही हम 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी भी बन जाएंगे. उन्होंने कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश की अर्थव्यवस्था 3.7 ट्रिलियन डॉलर की थी. 


विकास से कोसों दूर रह गए छोटे गांव एवं शहर


इसके बाद एक यूट्यूब पॉडकास्ट के दौरान रघुराम राजन ने कहा कि देश की इकोनॉमी बहुत विविधताओं से भरी है. हमें यहां एक तरफ तो नोएडा-गुड़गांव जैसे पॉश इलाके दिखती हैं, वहीं दूसरी तरफ विकास से कोसों दूर रह गए छोटे गांव एवं शहर. हमारी प्राथमिकता इसे दूर करने की होनी चाहिए.


10 हजार डॉलर प्रति व्यक्ति आय पर शंका 


राजन ने 2047 तक 10 हजार डॉलर प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े पर भी शंका जताई. उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत की प्रति व्यक्ति आय 2500 डॉलर है. इसे निम्न मध्यम वर्ग में गिना जाना चाहिए. इसमें इतना ज्यादा उछाल आने की संभावना नहीं दिखाई देती. उन्होंने कहा कि विकास के रास्ते पर अन्य देशों ने जो कदम उठाए, हमें उससे अलग हटकर कुछ सोचना पड़ेगा भारत एक अलग देश है. वह यूरोप-अमेरिका के रास्ते पर चलकर आगे नहीं बढ़ सकता. 


कुपोषण एक बड़ी समस्या 


कुपोषण को पूर्व गवर्नर ने बड़ी समस्या बताया उन्होंने कहा कि हमें मिशन मोड में काम करना होगा. हम समस्याओं को छिपाकर आगे नहीं बढ़ सकते. हर साल कुपोषण के खिलाफ लड़कर हमें इसे शून्य पर लाना होगा. उन्होंने कहा कि केरल में कुपोषण की दर सिर्फ 6 फीसदी है, जबकि बिहार और झारखंड के कुछ इलाकों में यह 35 फीसदी से भी ज्यादा है. इसलिए हमें अपने विकास के मॉडल को खुद विकसित करना पड़ेगा जिससे ये असमानता दूर हो सके और भारत का समग्र विकास दिख सके.


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