नई दिल्लीः रियल ईस्टेट, ऑटोमोबाइल, गुड्स और सर्विसेस के लिए भारत के सबसे बड़े क्लासिफाईड मार्केटप्लेस-ओएलएक्स ने अपने दिल्ली-एनसीआर रियल्टी सर्वे के नतीजे जारी किए. ओएलएक्स ने 2018-19 में बिल्डर्स और प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स की बाजार से अपेक्षाओं को समझने के लिए एक सर्वे किया. सर्वे में दिल्ली-एनसीआर में प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और इसके प्रभाव का आकलन भी किया गया. सर्वे के नतीजे दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद और गाजियाबाद के इलाकों में 200 हाउसिंग बिल्डर्स और कंसल्टेंट्स से मिली प्रतिक्रिया पर आधारित हैं.


दिल्ली में पॉपुलर हो रहे हैं ऑनलाइन प्रॉपर्टी पोर्टल
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के पसंदीदा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ऑनलाइन प्रॉपर्टी पोर्टल दिल्ली एनसीआर में प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं. आधे कंसल्टेंट ऑनलाइन माध्यम इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि इससे उन्हें काफी संख्या में लीड मिलती हैं, जबकि 39 फीसदी लीड्स/इंक्वायरी की मात्रा के लिए ऑनलाइन माध्यम पसंद करते हैं और 11 फीसदी ऑनलाइन माध्यम इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि ये ऑफलाईन माध्यमों के मुकाबले ज्यादा किफायती होते हैं. लगभग एक तिहाई प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स को 50 फीसदी से अधिक खरीददार ऑनलाइन स्रोतों से मिले.

2018-19 में बढेंगी प्रॉपर्टी की कीमतें
रिसर्च के मुताबिक, 75 फीसदी बिल्डर्स को 2018-19 में प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है, जिससे दिल्ली-एनसीआर के रियल इस्टेट बाजार में पुन: बढ़त होने के संकेत मिलते हैं. बिल्डर्स को उम्मीद है कि नियमों के विकास से सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे खरीदारों और विक्रेताओं का विश्वास फिर से बहाल होगा.

किफायती हाउसिंग के प्रोजेक्ट्स (40 लाख से कम) की योजना
ज्यादातर बिल्डर्स अगले 12 से 18 महीनों में विभिन्न प्रोजेक्ट लॉन्च करेंगे. सर्वे में सामने आया है कि 55 फीसदी अपने पोर्टफोलियो में किफायती हाउसिंग के प्रोजेक्टों (40 लाख से कम) की योजना बना रहे हैं. मिड सेगमेंट (40 लाख रु. से 1 करोड़ रु.) के प्रोजेक्टों अभी भी आकर्षण में बने रहेंगे और 65 फीसदी बिल्डर्स इस सीरीज की ओर केंद्रित होंगे, जबकि 15 फीसदी डेवलपर्स ने बताया कि वो अपने पोर्टफोलियो में लक्जरी प्रोजेक्ट (1 करोड़ रु. से ज्यादा) रखेंगे. मांग में भी बढ़त दिखाई दे रही है: ऑनलाइन रियल इस्टेट पोर्टल्स के जरिए प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स से मिली इंक्वायरी में से एक तिहाई किफायती हाउसिंग के लिए थीं.

रेडी टू मूव हाउसेस की बढ़ेगी मांग
सर्वे के अनुसार 80 फीसदी प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स ने बताया कि रेडी टू मूव हाउसेस की मांग अगले 12 से 18 महीनों में बढ़ेगी. यह रेरा और जीएसटी लागू होने के बाद इस सेक्टर में उपजी अनिश्चितता के कारण है, जिससे प्रोजेक्टों के पूर्ण होने का समय प्रभावित हुआ.

रियल इस्टेट ओएलएक्स पर सबसे तेजी से विकसित होती श्रेणियों में से एक है. इस प्लेटफॉर्म्स पर हर पांच में से एक यूजर रियल इस्टेट सेक्शन में विजिट करता है, जिससे प्रॉपर्टी ऑनलाइन खरीदने, बेचने और रेंटिंग में ग्राहकों की बढ़ती रुचि प्रदर्शित होती है. हर माह ओएलएक्स पर रियल इस्टेट कैटेगरी में 1.2 बिलियन से ज्यादा पेज व्यू होते हैं. आज तक रियल इस्टेट सेक्शन में 350,000 लाईव लिस्टिंग हैं, जिसके तहत 50 फीसदी किफायती प्रोजेक्ट (40 लाख से कम) हैं, 35 फीसदी मिड सेगमेंट (40 लाख से 1 करोड़) में हैं और 15 फीसदी प्रीमियम प्रॉपर्टीज हैं, जिनकी कीमत 1 करोड़ रु. से अधिक है.

ओएलएक्स इंडिया के सीओओ इरविन प्रीत सिंह आनंद ने कहा, "साल 2018 रियल इस्टेट के लिए वापसी का साल है. हमें प्रॉपर्टी खरीदने वालों की काफी ज्यादा प्रतिभागिता देखने को मिल रही है. ओएलएक्स पर हमने पिछली तिमाही में प्रॉपर्टी खरीदने वालों में 65 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है. रेडी-टू-मूव और किफायती हाउसेस की मांग दिल्ली एनसीआर में बढ़ रही है. बाजार में सकारात्मकता के चलते ज्यादा से ज्यादा लोग और बिजनेस बढ़ती मांग का फायदा उठाने के लिए हमारे प्लेटफॉर्म्स पर आ रहे हैं."

ओएलएक्स पर ग्राहक हर विजिट में औसतन 10 मिनट खर्च करता है 
ओएलएक्स पर एक ग्राहक हर विजिट में औसतन 10 मिनट खर्च करता है, जो रियल इस्टेट की किसी कंपनी के मुकाबले दोगुना है. कोई प्रॉपर्टी जब भी ओएलएक्स पर लिस्टेड होती है, इसे संबंधित खरीददारों से औसतन 12 इंक्वायरी मिलती हैं. मार्च 2018 की तिमाही खत्म होने तक ओएलएक्स ने प्लेटफॉर्म्स पर रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी तलाशने वालों में 65 फीसदी की बढ़त दर्ज की, जो दिसंबर, 2017 में 30 लाख से बढ़कर मार्च, 2018 में 50 लाख हो गई. इस प्लेटफॉर्म्स पर 100 से अधिक शहरों में 15,000 से अधिक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स हैं.