CNG PNG Price Cut: नया साल 2026 एक ऐसी खुशखबरी लेकर आ रहा है, जिसे सुन देश के करोड़ों गैस उपभोक्ता खुशी से झूम उठेंगे. दरअसल, पेट्रोलियम और नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड (PNGRB) ने टैरिफ रैशनलाइजेशन का ऐलान किया है, जो 1 जनवरी, 2026 से लागू होगा.
हाल ही में अपने दिए एक इंटरव्यू में PNGRB के सदस्य ए.के. तिवारी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि नए यूनिफाइड टैरिफ स्ट्रक्चर से कंज्यूमर्स को राज्य और लागू टैक्स के आधार पर प्रति यूनिट 2-3 रुपये की बचत होगी. उन्होंने बताया कि टैरिफ के इस नए स्ट्रक्चर से ट्रांसपोर्टेशन से लेकर किचन में बचत होगी.
तीन से घटकर दो जोन में बंटा टैरिफ
रेगुलेटर ने जोन की संख्या की संख्या को तीन से घटाकर दो कर टैरिफ स्ट्रक्चर को और आसान बना दिया है. साल 2023, वाले सिस्टम के तहत टैरिफ को डिस्टेंस या दूरी के आधार पर तीन जोन में बांटा गया था. 200 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 42 रुपये, 300-1,200 किलोमीटर के लिए 80 रुपये, और 1,200 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 107 रुपये की कीमत बैठती थी.
अब तीन के बजाय केवल दो ही जोन होंगे. पहला जोन देश भर में CNG और घरेलू PNG कस्टमर्स पर लागू होगा. इसे आसान भाषा में कहे तो इस नई व्यवस्था के तहत जोन-1 के लिए 54 रुपये का दर तय किया गया है, जबकि यह पहले 80 रुपये और 107 रुपये तक हुआ करती थी.
हर आम आदमी को मिले फायदा
नया टैरिफ स्ट्रक्चर भारत के 312 भौगोलिक क्षेत्रों में काम कर रही 40 सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) कंपनियों को कवर करेगा. तिवारी कहते हैं, "इससे ट्रांसपोर्ट सेक्टर में CNG का इस्तेमाल करने वाले कंज्यूमर्स और अपने किचन में PNG का इस्तेमाल करने वाले घरों को फायदा होगा.'' सरकार ने निर्देश दिया है कि कम दरों का लाभ आम उपभोक्ताओं पर पहुंचाया जाए और इसकी निगरानी खुद रेगुलेटरी बोर्ड करेगर. तिवारी ने कहा, "हमारा रोल इस बिजनेस में कंज्यूमर्स के साथ-साथ ऑपरेटर्स के हितों को बैलेंस करना है."
क्या है सरकार का लक्ष्य?
सरकार का प्रयास सब्सिडाइज्ड और रैशनलाइज्ड गैस देने का है ताकि पूरे देश में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा मिले. इसके चलते कई राज्यों ने वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) कम किया है और परमिशन प्रोसेस को आसान बनाया है.
CNG और PNG इंफ्रास्ट्रक्चर के बढ़ते दायरे पर बात करते हुए तिवारी ने कहा कि पूरे देश के गैस नेटवर्क को कवर करने के लिए लाइसेंस दिए गए हैं, जिसमें पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSUs), प्राइवेट कंपनियां और जॉइंट वेंचर जैसे ऑपरेटर्स शामिल हैं. उनका कहना है कि इस काम में PNGRB सरकार की मदद सिर्फ एक रेगुलेटर के तौर पर नहीं, बल्कि फेसिलेटर के तौर पर कर रहा है.
ये भी पढ़ें:
रोज 400 करोड़ तक का नुकसान, दिल्ली में कमर्शियल वाहनों पर प्रतिबंध का कारोबार और ट्रांसपोर्ट पर असर