Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण के नाम पर जब भी कमर्शियल वाहनों की एंट्री पर रोक लगाई जाती है, उसका असर केवल सड़कों पर नहीं दिखता, बल्कि यह पूरे व्यापारिक और औद्योगिक ढांचे को झकझोर देता है. ट्रांसपोर्ट से लेकर मंडियों, फैक्ट्रियों और छोटे कारोबारियों तक, हर कड़ी इस फैसले की कीमत चुकाती है. सवाल यह है कि क्या प्रदूषण नियंत्रण का बोझ सिर्फ ट्रक और व्यापार जगत ही उठाए?

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सप्लाई चेन पर सीधा प्रहार

एबीपी लाइव टीम से ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (रजि.) के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने बताया कि दिल्ली में रोजाना करीब 70,000 से 80,000 वाणिज्यिक वाहन प्रवेश करते हैं और बाहर जाते हैं. इन्हीं वाहनों के जरिए आवश्यक वस्तुएं, कच्चा माल और तैयार उत्पाद शहर तक पहुंचते हैं. जैसे ही प्रतिबंध लगता है, पूरी सप्लाई चेन ठप पड़ जाती है, जिसका सीधा असर बाजारों और उद्योगों पर पड़ता है.

रोजाना सैकड़ों करोड़ का आर्थिक नुकसान

कपूर के मुताबिक, वाणिज्यिक वाहनों पर रोक के कारण ट्रांसपोर्ट और व्यापार जगत को प्रतिदिन लगभग 300 से 400 करोड़ रुपये तक का सीधा नुकसान उठाना पड़ता है. माल समय पर न पहुंचने से ऑर्डर रद्द होते हैं, डिलीवरी पेनल्टी लगती है और कारोबार की रफ्तार थम जाती है.

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ट्रांसपोर्टरों पर दोहरी मार

प्रतिबंध के दौरान ट्रांसपोर्टरों को प्रति ट्रक रोजाना 8,000 से 15,000 रुपये तक का अतिरिक्त नुकसान झेलना पड़ता है. बैंक की किश्तें, ड्राइवर का भत्ता, पार्किंग शुल्क और लेट डिलीवरी की पेनल्टी इन सबने ट्रक बिजनेस को आर्थिक दबाव में डाल दिया है. कई मामलों में माल खराब होने से नुकसान और बढ़ जाती है.

व्यापार और उद्योग की रफ्तार थमी

राजेन्द्र कपूर ने कहा, मंडियों, फैक्ट्रियों और गोदामों में समय पर माल न पहुंचने से उत्पादन और बिक्री दोनों प्रभावित हो रहे हैं. खासकर छोटे व्यापारी और MSME इकाइयां, जिनकी नकदी सीमित होती है, इस संकट में सबसे ज्यादा पिस रही हैं. आपूर्ति बाधित होने से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी अस्थिरता देखने को मिलती है.

बाहरी राज्यों के व्यापारियों की दूरी

प्रदूषण और बार-बार लगने वाले प्रतिबंधों के चलते अन्य राज्यों के व्यापारी और खरीदार दिल्ली की मंडियों से दूरी बनाने लगे हैं. इसका नतीजा यह है कि थोक बाजारों में कारोबार घट रहा है और दिल्ली की सालों पुरानी व्यापारिक साख को नुकसान पहुंच रहा है.

संतुलित नीति की जरूरत

प्रदूषण पर नियंत्रण निस्संदेह जरूरी है, लेकिन उसका समाधान केवल ट्रकों पर प्रतिबंध लगाना नहीं हो सकता. जरूरत ऐसी व्यावहारिक और स्थायी नीति की है, जो वास्तविक प्रदूषण स्रोतों पर प्रभावी कार्रवाई करे और साथ ही ट्रांसपोर्ट, व्यापार एवं उद्योग को अनावश्यक आर्थिक क्षति से बचाए.

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