Pension for gig workers: सरकार गिग वर्कर्स के लिए सोशल सिक्योरिटी कंट्रीब्यूशन सिस्टम शुरू करने की तैयारी में है. इसके तहत इन वर्कर्स को काम करने वाले प्लेटफॉर्म्स को इनके पेमेंट का एक हिस्सा काटकर एम्प्लॉई पेंशन स्कीम में जमा कराना होगा. इस अमाउंट पर सरकार 3-4 परसेंट तक कंट्रीब्यूशन भी दे सकती है. 

सरकार की इस स्कीम का इन्हें मिलेगा फायदा

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की इस पहल का फायदा न केवल कैब ड्राइवर्स या फूड डिलीवरी पार्टनर्स को ही मिलेगा, बल्कि इस स्कीम में सॉफ्टवेयर प्रोफेश्नल्स और अन्य गिग इकोनॉमी वर्कर्स को भी कवर किया जाएगा. गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान कुछ साल शुरू किए गए श्रम संहिताओं में शामिल किया गया था. हालांकि, इन्हें अब तक लागू नहीं किया जा सका है. ऐसे में यह देखते हुए कि ये जिन भी प्लेटफॉर्म पर काम करते हैं, उनके द्वारा इन्हें दी जाने वाली पेमेंट का एक हिस्सा काटकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के पास जमा कराया जा सकता है, सरकार इसे शुरू करने के बारे में सोच रही है. 

जल्दी से जल्दी पहल को शुरू करने की तैयारी

श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए कहा, ''इससे जुड़ी डिटेल्स को अंतिम रूप दिया है, उम्मीद है कि इसे जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर श्रम संहिताओं को आगे बढ़ा रहा है, जो किसी भी बिजनेस के लिए जरूरी है.'' 

क्या होते हैं गिग वर्कर्स

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले कर्मचारियों को गिग वर्कर्स कहा जाता है. ये स्थाई कर्मचारी नहीं होते हैं बल्कि फ्रीलांसर के रूप में काम करते हैं इसलिए अपने परमानेंट एम्प्लॉई की तरह कंपनी इन्हें वेतन या भत्ते का भुगतान नहीं करती है. इन्हें बस अपने काम तक का पैसा मिलता है. हमारे देश में ऑनलाइन फूड डिलीवरी पार्टनर्स, ई-कॉमर्स सामान की डिलीवरी करने वाले, ड्राइवर गिग वर्कर्स के तौर पर काम करते हैं.

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