Economic Crisis in Pakistan: पाकिस्तान लंबे वक्त से आर्थिक परेशानी (Economic Crisis in Pakistan) से गुजर रहा है. इस तंगहाली बीच देश में आम चुनाव होने जा रहे हैं. ANI की रिपोर्ट के अनुसार नेशनल असेंबली और संघीय सरकार के भंग होने के दूसरे दिन देश के वित्त मंत्रालय ने आर्थिक हालात पर अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की है. इसमें देश में महंगाई से लेकर गरीबी तक के मुद्दों पर रोशनी डाली गई है. इस रिपोर्ट में रूस-यूक्रेन युद्ध को महंगाई का मुख्य कारण बताया गया है.


खर्च में हुई बढ़ोतरी


एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank) को पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट पेश की है. 31 दिसंबर, 2022 को समाप्त तिमाही में देश चक्रीय विकास व्यय कार्यक्रम (CDEP) पर तय बजट का केवल 41.5 फीसदी राशि का इस्तेमाल किया गया है. ऐसे में यह आंकड़े संतोषजनक रहे हैं. वहीं चालू व्यय की बात करें तो वित्त वर्ष 2023 में जुलाई से दिसंबर के बीच इसमें 30 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है और यह 4.676 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये से बढ़कर 6.061 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये पर पहुंच गया है. डॉन की खबर के मुताबिक कुल व्यय राशि में 77 फीसदी हिस्सा कर्ज को चुकाने के लिए इस्तेमाल किया गया है.


रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि सार्वजनिक क्षेत्र के विकास कार्यक्रम में केवल 4.5 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2023 के जुलाई से दिसंबर के बीच में यह बढ़कर 19.8 फीसदी की दर से बढ़कर 6.382 पाकिस्तानी रुपये पहुंच गया है. इस दौरान टैक्स के कलेक्शन में भी 18.8 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है और यह 4.699 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गया है. पिछले साल यह 3.956 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये था.


महंगाई और गरीबी में होगा इजाफा


इस रिपोर्ट में महंगाई और गरीबी के मुद्दे को भी रेखांकित किया गया है. गौरतलब है कि पिछले कुछ महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन के दाम में बढ़त दर्ज की गई है. ऐसे में रिपोर्ट में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ईंधन की कीमतों पर हो रहे असर का जिक्र किया गया है. ईंधन की बढ़ते दाम के कारण पाकिस्तान ज्यादा कच्चे तेल का आयात नहीं कर पा रहा है. इसका असर देश की आर्थिक गतिविधि पर दिख रहा है. ईंधन की कीमतों के साथ खाने की तेल के दाम में भी तेजी से इजाफा हुआ है. गेहूं की बढ़ती कीमत और पाम ऑयल के बढ़ते दाम ने गरीब परिवारों पर महंगाई को दोगुनी कर दिया है. इससे देश की एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जा सकती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले वक्त में ईंधन, बिजली और खाने पीने की चीजों के दाम में कोई राहत नहीं मिलने वाली है. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में गरीबी बढ़ने की संभावना है. 


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