PaisaLIVEQnA: आपकी वित्तीय जरूरतों से जुड़े कई सवाल ऐसे होते हैं जिनका जवाब केवल एक्सपर्ट ही दे सकते हैं. ABPLive.com पर हम पर्सनल फाइनेंस से जुड़े आपके सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं जहां उद्योग जगत के दिग्‍गज आपकी आर्थिक परेशानियों से जुड़ी उलझनों को सुलझाने में मदद करेंगे. इसी क्रम में आज लेकर आए हैं अपने कुछ पाठकों के वित्तीय सवाल जिनका जवाब दे रहे हैं टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन.


सवालः क्या मैं अपनी बेटी की मेडिकल की पढ़ाई के लिए किए गए 2 लाख रुपये के ट्यूशन फीस के खर्च का डिडक्शन क्लेम कर सकता हूं? मैं पहले ही अपने पीपीएफ खाते में 1.50 लाख रुपये जमा कर चुका हूं.


अनिरुद्ध कुमार


जवाबः पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी पीपीएफ और ट्यूशन फीस के पेमेंट पर होने वाले डिडक्शन पर इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट दी जाती है. इसकी लिमिट सेक्शन 80सी के अंतर्गत केवल 1.50 लाख रुपये ही है. आपके पीपीएफ खाते में 1.50 लाख रुपये चूंकि आप पहले ही जमा कर चुके हैं तो आप भुगतान की गई 1.50 लाख रुपये की ट्यूशन फीस के लिए किसी और टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकते हैं. यदि आपकी पत्नी भी टैक्सपेयर हैं, तो वह अपने खाते से ट्यूशन फीस का पेमेंट कर सकती हैं ताकि वह सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट क्लेम करने में सक्षम हो सकें लेकिन आपकी लिमिट पहले ही खत्म हो चुकी है.


सवालः मैं एक सैलरीड एंप्लाई हूं जो रेगुलर आईटीआर फाइल करता है. मेरी पत्नी एक हाउसवाइफ हैं और उनके पास आय का कोई सोर्स नहीं है. हमारे पास एक डीमैट अकाउंट मेरी पत्नी के नाम से है जिसमें हम मेरी कमाई से शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं. क्या मुझे मेरी पत्नी के नाम वाले डीमैट खाते में आने वाले मुनाफे या घाटे को मेरे इनकम टैक्स रिटर्न में शामिल करना चाहिए?


रितेश अग्रवाल


जवाबः चूंकि आपकी पत्नी के पास निवेश करने के लिए कोई पैसा नहीं है और निवेश किया गया पैसा आपका है, इसलिए शेयर ट्रांजेक्शन से होने वाले मुनाफे/घाटे को आयकर कानूनों के क्लबिंग प्रावधानों के अनुसार आपकी आय में शामिल करना होगा.


सवालः मैं और मेरी पत्नी सीनियर सिटीजन हैं. हमने अपने और अपने बेटे के परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लिया है. हमारे लिए बीमा प्रीमियम 58,000 रुपये और मेरे बेटे के लिए बीमा प्रीमियम लगभग 22,000 रुपये है. पेमेंट किए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर हमें कितनी छूट मिलेगी?


रघुनंदन शर्मा


जवाबः एक संतान माता-पिता के लिए धारा 80 डी के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकती है, भले ही वह आर्थिक रूप से आश्रित न हो, लेकिन माता-पिता धारा 80 डी के तहत किसी भी लाभ का दावा नहीं कर सकते हैं जब तक कि बच्चा आश्रित न हो. तो आप केवल 50,000 रुपये तक आपके और आपकी पत्नी के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कटौती का दावा कर सकते हैं. चूंकि आपका बेटा आप पर निर्भर नहीं है, इसलिए आप केवल अपने बेटे के लिए भुगतान किए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर कोई कटौती हासिल कर पाएंगे. हालांकि, यदि आपका बेटा प्रीमियम का पेमेंट करता है, तो वह आपके हेल्थ इंश्योरेंस के लिए धारा 80 डी के तहत 50,000 रुपये के साथ-साथ अपने परिवार के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भी। 25,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकता है. तो आपका बेटा आईटी एक्ट के सेक्शन 80 डी के तहत 72,0000 रुपये की कटौती का दावा करने में सक्षम होगा.


सवालः जब मैं नाबालिग था तब मेरे पिता ने एक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी थी और सभी प्रीमियम मेरे पिता ने पेमेंट किए थे. पॉलिसी की मैच्योरिटी पर बीमा कंपनी उस पर टैक्स काट लेती है. मैं अब बालिग हूं. मैंने अपना पैन एलआईसी को पेश कर दिया था. क्या मैं अपना आईटीआर दाखिल करते समय टीडीएस का दावा कर सकता हूं?


मधुर श्रीवास्तव


जवाब: इनकम टैक्स के एक्ट 194डीए के मुताबिक, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत भुगतान की गई राशि में शामिल आय हिस्से से 5 फीसदी की दर से टीडीएस काटा जाना जरूरी है, जो इनकम टैक्स के एक्ट 10(10डी) के तहत छूट के काबिल नहीं है.


चूंकि एलआईसी ने टीडीएस काटा है, ऐसा लगता है कि यह आपके लिए टैक्सेबल है और इसे आपकी अन्य आय में शामिल किया जाना चाहिए. यदि आपके पास एक से अधिक घर नहीं हैं तो आप आईटीआर 1 दाखिल कर सकते हैं या फिर यदि आपके पास एक से ज्यादा घर हैं तो आप आईटीआर 2 फाइल कर सकते हैं.


सवालः समय पर आईटीआर भरने के बावजूद अभी तक रिफंड नहीं आया है. अब इसकी शिकायत किससे की जाए ताकि रिफंड के पैसे आ जाएं?


अनुराधा गोयल


जवाबः आजकल आयकर विभाग मिनटों में इनकम टैक्स रिटर्न प्रोसेस कर रहा है और रिफंड भी तुरंत जारी कर रहा है. हालांकि कुछ मामलों में देरी होती है. देरी के कई कारण हो सकते हैं. मैं आपको सलाह दूंगा कि आप अपने खाते में लॉगिन करने के बाद शिकायत अनुभाग के तहत शिकायत दर्ज करें और उम्मीद है कि आपका रिफंड आ जाएगा. यदि आपको कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता है तो कृपया एक के बाद एक शिकायतें लेकर उनसे फॉलो अप करते रहें.


(लेखक टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)