नई दिल्लीः परमानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन के मामले में महिलाएं पुरुषों से काफी पीछे है. आयकर विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पैन हासिल करने वालों में महज 32 फीसदी ही महिलाएं हैं जबकि बाकी पुरुष.


अक्षर और संख्या को मिलाकर बने पैन में कुल 10 कैरेक्टर होते हैं. ये एक तरह की वित्तीय पहचान है. तमाम तरह के कानूनी वित्तीय लेन-देन में ये पहचान का आधार होता है. मसलन, चाहे बैंक खाता खोलना हो या फिर शेयर बाजार में खरीद-फरोख्त के लिए डिमैट अकाउंट, दोनों ही जगह पर पैन की दरकार होती है. पैन किसी भी उम्र में हासिल किया जा सकता है. यहां तक कि नवजात के नाम भी पैन हासिल किया जा सकता है, हालांकि इसकी ज्यादा उपयोगिता व्यस्क हो जाने पर ही है.


आयकर विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 31 मार्च 2017 तक कुल मिलाकर 28.57 करोड़ से ज्यादा पैन जारी किए गए. इनमें से 19.45 करोड़ यानी 68 फीसदी से कुछ ज्यादा पुरुषों के नाम रहे जबकि 9.12 करोड़ यानी करीब 32 फीसदी महिलाओं के नाम. महिलाओं के नाम कम पैन जारी होने की एक वजह ये हो सकती है कि ज्यादातर घरों में मुखिया पुरुष होते हैं और तमाम तरह के वित्तीय लेन-देन उन्ही के नाम होते हैं. यहां ये भी ध्यान देने की बात है कि देश के कुल 101 अरबपतियो में महज 4 ही महिलाए हैं.


उम्र के हिसाब से पैन
सबसे ज्यादा किस उम में लोग पैन हासिल करते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, 25 फीसदी से भी ज्यादा पैन 20 साल से ज्यादा लेकिन 30 साल से कम उम्र के पुरुषों ने हासिल किया. इस मामले में 18 से 20 वर्ष वाले पुरुष दूसरे स्थान पर है. वहीं सवा बारह फीसदी से कुछ अधिक पैन के साथ 20 से 30 वर्ष की महिलाएं तीसरे स्थान पर है. गौर करने की बात ये है कि वैसे तो नौकरी हासिल करने के लिए कम से कम 18 साल उम्र जरुरी है, लेकिन ज्यादातर नौकरियां 20 से 30 साल के बीच लगती है, यही वजह है कि उम्र के इस पड़ाव पर सबसे ज्यादा लोग पैन हासिल लेते हैं.


महिला श्रमशक्ति
पुरुषों के मुकाबले पैनधारकों में महिलाओं की संख्या कम होने की एक वजह कुल श्रम शक्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी भी है. लोकसभा में सरकार की ओर से रखे जवाब में श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने ताया कि लेबर ब्यूरो के सर्वे के मुताबिक, महिला कामगारों का प्रतिशत 2012-13 में जहां 25 फीसदी था, वो 2013-14 में बढ़कर करीब 30 फीसदी हो गया जबकि 201-16 में ये घटकर 25.8 फीसदी पर आ गया. ये भी महिला पैन धारकों की संख्या कम होने की एक वजह हो सकती है.