Petrol-Diesel Price: कच्चे तेल के दाम बीते कई हफ्तों से 80 डॉलर प्रति बैरल के नीचे कारोबार कर रहा है. सरकारी ऑयल रिफाइनरी कंपनियों को रूस से सस्ती कीमतों पर कच्चा तेल उपलब्ध हुआ है जिससे उन्होंने 7 बिलियन डॉलर की बचत हुई है. इसके बावजूद देश के आम लोगों को अपने गाड़ियों में पेट्रोल डीजल डलवाने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करना पड़ रहा है. आप ये जानकर हैरान हो जायेंगे कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के बीच तीनों सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल डीजल बेचने पर 8-9 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा हुआ है. लेकिन इन कंपनियों ने महंगाई से परेशान पेट्रोल डीजल के दामों में कमी कर कोई राहत नहीं दी. 


पेट्रोल के खुदरा सेल्स पर 9 रु/लीटर का मुनाफा 


एक ब्रोकरेज हाउस के रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से जून तिमाही के बीच इंडियन ऑयल, एचपीसीएल और बीपीसीएल जैसे सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल के खुदरा बिक्री पर 9 रुपये प्रति लीटर तक का मुनाफा हुआ है. जबकि इसके पहले जनवरी मार्च तिमाही में 6.8 रुपये लीटर का मुनाफा हुआ था. बीते वर्ष रूस यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों में तेज उछाल के चलते अप्रैल से जून में तेल कंपनियों को 10.2 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हुआ था. 


डीजल पर हो रहा 8.6 रुपये का मुनाफा 


रिपोर्ट के मुताबिक डीजल बेचने पर कंपनियों के मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 8.6 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा हुआ है जबकि जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान ये मुनाफा 50 पैसे प्रति लीटर था और बीते वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनियों को 12.50 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हुआ था. ब्रोकरेज हाउस के मुताबिक 2023-24 की पहली तिमाही में सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल डीजल बेचने के चलते 22,100 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है जबकि बीते वर्ष समान तिमाही में 18,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.  


सस्ते क्रूड का फायदा नहीं 


बीते वर्ष फरवरी 2022 में रूस यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार कच्चे तेल के दामों में तेज उछाल देखने को मिली तो पांच राज्यों खासतौर से उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने तक कंपनियों ने दाम नहीं बढ़ाये. लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुआ कंपनियों ने कई चरणों में दामों में बढ़ोतरी की थी. कई शहरों में पेट्रोल डीजल के दाम 100 रुपये लीटर के पार जा पहुंचा. आम लोगों के बीच नाराजगी और महंगाई दर में तेज उछाल के बाद सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कमी कर लोगों को राहत दी. लेकिन जब वैश्विक आर्थिक संकट और मांग में कमी के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब कच्चे तेल के दामों में कमी आई तो इन सरकारी कंपनियों ने उपभोक्ताओं तो कोई लाभ नहीं दिया. 


महंगे डीजल का महंगाई में योगदान!


आम आदमी वैसे ही टमाटर, अदरक जैसे सब्जियों और दाल की कीमतों में तेल उछाल से परेशान है. महंगाई को बढ़ाने में बड़ा हाथ महंगे डीजल का भी रहा है. साग-सब्जी से लेकर दूसरी खाने-पीने की चीजों की ढुलाई महंगी होने से इनकी कीमतों पर असर पड़ा है जिसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ रहा है. 


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