सरकारी कंपनियां इन दिनों लगातार सुर्खियों में हैं. कई पीएसयू कंपनियों के शेयरों ने हालिया महीनों में मल्टीबैगर रिटर्न दिया है. इसके पीछे सरकारी कंपनियों पर केंद्र सरकार के विशेष ध्यान देने और बिक्री में मजबूत वृद्धि को जिम्मेदार बताया जा रहा है. हालांकि इन सब के बीच एक आंकड़े चौंकाने वाले हैं कि कई सरकारी कंपनियों में बीते कुछ सालों के दौरान नौकरियों में तेज गिरावट आई है.


बीते 6 सालों में आई इतनी गिरावट


ईटी की एक रिपोर्ट की मानें तो सरकारी तेल एवं गैस कंपनियों में पिछले 6 सालों के दौरान नौकरियों में भारी-भरकम गिरावट आई है. इन सरकारी कंपनियों में बीते 6 सालों में 15,700 नौकरियां कम हुई हैं, जो उनके टोटल वर्कफोर्स के 14 फीसदी के बराबर है. आज से 6 साल पहले सरकारी तेल एवं गैस कंपनियों के कर्मचारियों की कुल संख्या 1 लाख 10 हजार के स्तर पर थी, जो अब कम होकर 94 हजार 300 पर आ गई है.


इन 2 पीएसयू में सबसे ज्यादा नौकरियां


रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी तेल एवं गैस कंपनियों के कुल कर्मचारियों की संख्या मार्च 2023 में 94 हजार के पास आ गई. नौकरियों के मामले में सरकारी तेल कंपनियों में सबसे आगे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन यानी आईओसीएल है, जिसके कुल कर्मचारियों की संख्या ताजे आंकड़ों के हिसाब से 28 हजार है. उसके बाद 24 हजार कर्मचारियों के साथ ओनएजीसी का नंबर है. आईओसीएल तेल एवं गैस का विपणन करने वालीव रिफाइनरी चलाने वाली सरकारी तेल कंपनी है, जबकि ओएनजीसी का फोकस तेल एवं गैस की खोज करने पर है.


इन सेगमेंट में सबसे ज्यादा गिरावट


बीते सालों में सरकारी तेल कंपनियों में नौकरियां कम होने में सबसे ज्यादा योगदान एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन और मार्केटिंग एंड आरएंडडी सेगमेंट का है. इन दो सेगमेंट में बीते 6 सालों के दौरान नौकरियों में 20 से 24 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि रिफाइनरी सेगमेंट में नौकरियों में 3 फीसदी की गिरावट आई है. पाइपलाइन बिजनेस में ट्रेंड से उलट नौकरियों में वृद्धि देखने को मिली है. इस सेगमेंट में नौकरियां 7 फीसदी बढ़ गई हैं.


हालिया तिमाहियों में ऐसा प्रदर्शन


मार्च तिमाही में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को 5,488 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ, जबकि उसका राजस्व 13,660 करोड़ रुपये रहा. वहीं ओएनजीसी को तीसरी तिमाही में 10,478 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था और उसका परिचालन से राजस्व 1,65,569 करोड़ रुपये रहा था. हालिया तिमाहियों में भले ही मुनाफे और राजस्व के आंकड़े में कमी आई है, लेकिन छह साल पहले से तुलना करें तो ये आंकड़े काफी ज्यादा हैं.


ये भी पढ़ें: ओला-उबर को टक्कर देने की तैयारी, पेटीएम ने की ऑटो के ट्रायल की शुरुआत