तेल और गैस कंपनियों ने मिलकर सरकार के खजाने को भर दिया है. कल समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान तेल और गैस कंपनियों ने सरकार को लाभांश के रूप में कई हजार करोड़ रुपये दिए हैं. अकेले ओएनजीसी का योगदान 7 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है.


अकेले ओएनजीसी का डिविडेंड


ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन यानी ओएनजीसी ने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान सरकार को डिविडेंड के रूप में अकेले 7,224 करोड़ रुपये का भुगतान किया. इस तरह ओएनजीसी सरकारी खजाने में डिविडेंड से सबसे ज्यादा योगदान करने वाली कंपनी भी बन गई. पिछले वित्त वर्ष में अन्य तेल कंपनियों ने भी सरकार को शानदार डिविडेंड का भुगतान किया.


अन्य तेल कंपनियों का योगदान


वित्त वर्ष 2023-24 के लिए डिविडेंड देने वाली अन्य कंपनियों में 3,636 करोड़ रुपये के साथ इंडियन ऑयल का नाम प्रमुख है. ओवरऑल इंडियन ऑयल डिविडेंड देने में दूसरे नंबर पर है. पहले स्थान पर काबिज ओएनजीसी का योगदान इंडियन ऑयल की तुलना में लगभग डबल है. तेल व गैस सेक्टर से भारत पेट्रोलियम ने 2,413 करोड़ रुपये, गेल ने 1,863 करोड़ रुपये और ऑयल इंडिया ने 737 करोड़ रुपये दिए.


अभी और ऊपर जाएगा आंकड़ा


विभिन्न तेल व गैस कंपनियों के द्वारा सरकारी खजाने में डिविडेंड के रूप में किया जाने वाला योगदान अभी और बढ़ सकता है. फिलहाल जो आंकड़ा सामने है, वो सिर्फ अंतरिम लाभांश का है. अभी किसी भी कंपनी ने अंतिम तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2024 की तिमाही के लिए वित्तीय परिणामों का ऐलान नहीं किया है. कंपनियां मार्च तिमाही के रिजल्ट के साथ पूरे वित्त वर्ष के लिए फाइनल डिविडेंड के बारे में जानकारी देती हैं. ऐसे में डिविडेंड का आंकड़ा अभी और बढ़ने की पूरी उम्मीद है.


तेल-गैस कंपनियों का बढ़ा मुनाफा


तेल व गैस कंपनियों के लिए पिछला वित्त वर्ष काफी अच्छा रहा. लगभग पूरे वित्त वर्ष के दौरान डीजल और पेट्रोल की कीमतों में बदलाव नहीं हुआ, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चा तेल लगातार नरम बना रहा. डीजल-पेट्रोल की कीमतें एक दम अंत में जाकर मार्च में कम की गईं. इससे तेल कंपनियों को अच्छी कमाई करने में मदद मिली. इससे तेल रिफाइन करने वाली कंपनियों के भी मार्जिन में तेजी आई.


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