Norway Jackpot: यूरोपीय देश नॉर्वे के हाथ एक बड़ा जैकपॉट लग गया है, जिसकी कीमत 1016749200000000 रुपये है. दरअसल, दक्षिण नॉर्वे में 'दुनिया के सबसे बड़े फॉस्फेट भंडार' का पता लगाया गया है. इसका इस्तेमाल आने वाले समय में ग्रीन टेक्नोलॉजी में किया जा सकता है. 

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नॉर्वे के हाथ लगे इस भंडार में 70 बिलियन टन फॉस्फेट है. इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बैटरी, सोलर पैनल, फर्टिलाइजर में इस्तेमाल होने वाले इस आयन की सप्लाई में अब कोई कमी नहीं आएगी. फॉस्फेट के इस सबसे बड़े डिपॉजिट की खोज नॉर्ज माइनिंग नाम की कंपनी ने इस साल की शुरुआत में की. प्राकृतिक संसाधनों की कमी से जूझ रहे यूरोप के लिए यह खोज काफी मायने रखती है. इसके मिलने से अब यूरोप के इस मामले में आत्मनिर्भर बनने की उम्मीद जताई जा सकती है. 

क्यों फॉस्फेट की इतनी है अहमियत?

EuroNews की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्वे के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में मिले फॉस्फेट के इस भंडार की खोज 2018 में की थी, लेकिन मई में कंपनी ने बताया कि इस साइट में 70 बिलियन टन फॉस्फेट है. इसे जैकपॉट इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसके मिलने से कम से कम आने वाले 50 सालों तक इसकी सप्लाई में कोई कमी नहीं आएगी.

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इससे ग्रीन टेक्नोलॉजी के प्रोडक्शन को काफी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि कई डिवाइसों में फॉस्फेट का मेजर रोल है. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में इस्तेमाल होने वाले बैटरी के प्रोडक्शन से लेकर सोलर पैनल और पौधों के लिए उर्वरकों तक, इसका इस्तेमाल कई जरूरी कामों में होता है. चूंकि दुनिया अब sustainable energy की ओर बढ़ रही है इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है. 

अब इन्हें कड़ी टक्कर देगा यूरोप

इस डिपॉजिट के मिलने के साथ ही नॉर्वे अब चीन, मोरक्को और रूस जैसे देशों को टक्कर देने के लिए तैयार है क्योंकि अब तक यूरोपी फॉस्फेट की सप्लाई के लिए इन्हीं देशों पर निर्भर रहा है और हर बार आपूर्ति में कोई न कोई रूकावट आ ही जाती है जैसे कि यूक्रेन में जंग छिड़ी तो फॉस्फेट की सप्लाई प्रभावित हुई और यूरोप को वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ी. अब इस नई डिपॉजिट के मिलने से दूसरे सप्लायर्स पर यूरोप की निर्भरता कम हो जाएगी. 

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