Karachi Port: भारतीय नौसेना ने कराची पोर्ट को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. भारतीय नौसेना ने कराची पोर्ट पर ताबड़तोड़ मिसाइलें दागकर इसे पूरी तरह से तबाह कर दिया है. कराची पोर्ट को पाकिस्तान की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है क्योंकि पाकिस्तान की आर्थिक गतिविधियों और व्यापार का एक प्रमुख केंद्र है. 

Continues below advertisement

काफी लंबा रहा है कराची पोर्ट का इतिहास

अरब सागर के तट पर स्थित यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा और व्यस्त बंदरगाह है, जहां से बड़े पैमाने पर आयात-निर्यात होता है, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को सहारा मिलता है. कराची बंदरगाह का इतिहास भी काफी पुराना रहा है. इसे ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था.

बीते कुछ सालों में इसे एडवांस्ड बनाने पर काफी कम हुआ. नतीजतन, इसमें हर साल लाखों टन कार्गो संभालने की ताकत थी. इसकी कार्गो हैंडलिंग क्षमता सालाना 26 मिलियन टन है. इनमें से 14 मिलियन टन लिक्विड और 12 मिलियन टन ड्राई कार्गो शामिल है. 

Continues below advertisement

कराची पोर्ट का पाकिस्तान की GDP से डायरेक्ट लिंक

 कराची पोर्ट के जरिए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के साथ पाकिस्तान का व्यापार करना आसान होता था. इसे नुकसान पहुंचने से पाकिस्तान की जीडीपी को बड़ी चोट पहुंच सकती है. इलेक्ट्रॉनिक सामानों से लेकर कपड़े और कच्चे माल तक कराची पोर्ट के माध्यम से दूसरे देशों से मंगाए जाते थे या भेजे जाते थे. 

पोर्ट पर किया गया था भारी निवेश

इतना ही नहीं, कराची पोर्ट की अहमियत को समझते हुए इसे मॉर्डन बनाने में बीते कुछ सालों में भारी निवेश भी किया गया था. इनमें नए टर्मिनल, कार्गो हैंडलिंग की और बेहतर सुविधाएं, सड़क और रेल नेटवर्क के साथ बढ़ाई गई कनेक्टिविटी वगैरह. इसका मकसद प्रोडक्टिविटी को बढ़ाना और वैश्विक व्यापार की जरूरतों को पूरा करना था.

कराची पोर्ट से ट्रांजिट व्यापार होने की वजह से कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों के साथ पाकिस्तान के व्यापार समझौतों को और मजबूती मिली. इसके अलावा, चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के जरिए चीन के साथ कराची पोर्ट की कनेक्टिविटी से आर्थिक सहयोग के नए अवसर भी पैदा हुए थे. 

ये भी पढ़ें:

क्या वाकई में भारत से जंग लड़ने की है पाकिस्तान की औकात? पड़ोसी मुल्क को है इस रियल्टी चेक की जरूरत