BVR Subrahmanyam: नीति आयोग (NITI Aayog) के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम (BVR Subrahmanyam) ने कहा है कि देश के विभिन्न सेक्टर्स में सुधारों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश में इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाने के लिए एजुकेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर और एग्रीकल्चर सेक्टर में सुधार लाने की सख्त जरूरत है. उन्होंने कहा कि इन सेक्टर्स में गैप दूर करने के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर (Skill Development Centre) को प्राइवेट हाथों में दे देना चाहिए. 


एजुकेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर और एग्रीकल्चर में बड़े सुधार की जरूरत 


बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत के इकोनॉमिक और एजुकेशनल फ्रेमवर्क में फिलहाल कमियां हैं. देश को डेवलपमेंट और ग्लोबल वैल्यू चेन को आगे बढ़ाने की दिशा में एजुकेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट और एग्रीकल्चर सेक्टर में बड़े सुधार आने चाहिए. उन्होंने भारत में एजुकेशन और स्किल संबंधी कमियों पर चर्चा करते हुए कहा कि इनमें बुनियादी सुधार की जरूरत है. इसके बिना सब कुछ एक फ्लॉप कहानी साबित होगा. इसलिए सरकार को कौशल विकास संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने पर विचार करना चाहिए.


जमीनी हकीकत से कटे हुए हैं सरकारी रिसर्च इंस्टिट्यूट


नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि भारत के कुछ प्रमुख सरकारी रिसर्च इंस्टिट्यूट भी जमीनी हकीकत से कटे हुए हैं. हमने वास्तव में शिक्षा में 3 चीजें बनाई हैं. सीआईएसआर (CISR) और आईसीएआर (ICAR) हाथी दांत की तरह हैं. भारत में अनुसंधान एवं विकास का शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है. यूनिवर्सिटी का रिसर्च से कोई लेना-देना नहीं है. इन दोनों का इंडस्ट्री से कोई लेना-देना नहीं है. क्या हम कह सकते हैं कि प्रत्येक सीआईएसआर लैब में एक कॉलेज होना चाहिए. छोटे कारोबारी इसके चलते परेशानी में हैं. बड़ी कंपनियां लोगों को काम पर रख सकती हैं. उन्हें ट्रेनिंग दे सकती हैं. मगर, छोटी कंपनियां फंसी हुई हैं.


प्राइवेट सेक्टर को साथ लाने के लिए नीतियां बदलनी होंगी 


सुब्रमण्यम ने इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में प्राइवेट इनवेस्टमेंट की कमी पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने स्वीकार किया कि इसे बढ़ाने के लिए सरकारी नीतियों को बदलने की जरूरत पड़ेगी. इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में प्राइवेट इनवेस्टमेंट लाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है. हमें इसके लिए नए मॉडल लाने की जरूरत है. निजी पैसा मुफ्त में नहीं आता है. हमें प्राइवेट सेक्टर को साथ लाने के लिए नए तरीके आजमाने होंगे. साथ ही हमें कृषि क्षेत्र पर फिर से ध्यान केंद्रित करना होगा. हमें इसे आगे बढ़ाना होगा. 


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