Union Budget 2023: नए वित्त वर्ष के तीन महीने पूरे हो चुके हैं. अप्रैल से जून की पहली तिमाही खत्म हो चुकी है. वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के खत्म होने के साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ मौजूदा वित्त वर्ष के बजट घोषणाओं के क्रियान्वन की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक की है. 


वित्त मंत्री ने समीक्षा के महत्व को रेंखाकित करते हुए कहा कि अलग अलग बजट घोषणाओं को समयबद्ध तरीके से लागू करने और उसी प्रगति का निरंतर मूल्यांकन करना बेहद जरुरी है. इस रिव्यू बैठक में आर्थिक मामलों के सचिव, वित्तीय मामलों के सचिव, दीपम (DIPAM) के सचिव के अलावा कॉरपोरेट मामलों के सचिव  और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. 






मौजूदा वित्त वर्ष में मोदी सरकार ने 45,03,097 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है. जिसमें से रेवेन्यू एक्सेंडिचर 35,02,136 लाख करोड़ रुपये है. इस वर्ष बजट में पहली बार आधारभूत ढांचे की मजबूती के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर के मद में 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान किया गया था जो 2022-23 के मुकाबले 37.4 फीसदी ज्यादा है. सड़क परिवहन मंत्रालय को 2,70,435 करोड़ रुपये और रेलवे के लिए 2.40 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इस वर्ष रेलवे में 100 नई योजनाओं को शुरू करने का लक्ष्य है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजन 4.0 की शुरुआत करने के साथ देश में 30 'स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर' स्थापित करने का भी लक्ष्य है. और इन तमाम घोषणाओं की वास्विक स्थिति का वित्त मंत्री ने बैठक में जाएजा लिया है.  


अब अंतरिम बजट पेश करने का अवसर 


दरअसल मौजूदा वित्त वर्ष मोदी सरकार के लिए बेहद मायने रखता है. इस वित्त वर्ष के लिए पूर्ण बजट पेश करने का आखिरी मौका था. 2024 में लोकसभा चुनाव होगा. उसके पहले मोदी सरकार के पास अंतरिम बजट ही पेश कर जाएगी. अंतरिम बजट इसलिए पेश किया जाता है क्योंकि नई सरकार के गठन और उसके द्वारा बजट पेश करने तक सरकार का कामकाज सुचारू रूप से चल सके, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों को समय पर वेतन और पेंशन मिलता रहे. अंतरिम बजट में मोदी सरकार के लिए बड़ी घोषणाएं करना संभव नहीं है. अंतरिम बजट पेश होने के कुछ ही दिनों बाद देश में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आचार सहिंता भी लागू हो जाएगा. 


ये भी पढ़ें


Pakistan Debt: पाकिस्‍तान बना IMF का चौथा सबसे बड़ा कर्जदार, जानें फिर पहले, दूसरे और तीसरे पर कौन सा देश