Strong Roads: भारत में सड़कों की हालत को लेकर अक्सर बातें होती रहती हैं और ज्यादातर ये इनकी बदहाल हालत को लेकर ही होती हैं. दरअसल सड़कों की टूटफूट ऐसी समस्या है जिससे आम से लेकर खास तक हर वर्ग को जूझना पड़ता है. ऐसे में अगर आपको पता चले कि ऐसी तकनीक आ रही है जिससे सड़कें अपनी मरम्मत खुद कर लेंगी तो जानकर आपको बेहद ही खुशी होगी. अच्छी खबर ये है कि भारत में भी ऐसी तकनीक वाली सड़कें जल्द ही आ सकती हैं.


देश का नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी एनएचएआई ऐसी तकनीक वाली सड़कें बनाने वाला है जिसमें कोई भी टूटफूट होने पर सड़कों की मरम्‍मत खुद ही पूरी हो जाएगी. ऐसी सड़कों को सेल्फ हील रोड्स कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा. इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.


क्या है NHAI का प्लान


राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI का प्लान है कि ऐसी तकनीक वाली सड़कों को जल्दी ही हकीकत का अमली जामा पहना दिया जाए. इसके लिए ऐसी डामर का इस्तेमाल किया जाए जो सड़क के टूटने पर उसको खुद-ब-खुद ठीक करने में सक्षम होगी. इस तकनीक में दरअसल एक प्रकार का स्टील एडवांस तकनीक ऐसी प्रक्रिया से रेशे वाली सड़क बनाता है जो टूटने-फूटने की सूरत में गर्म होकर फैलता है और कॉन्क्रीट के साथ मिलकर खाली जगह को भर देगा. इस तरह सड़कों को देखा जाए तो ये टूटने-फूटने के बाद अपने आप हील यानी ठीक हो जाएंगी. 


एक सरकारी अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर ये बड़ी जानकारी दी है कि सड़कों के गड्ढों के चलते देश में हर साल कई एक्सीडेंट होते हैं जिनके कारण घायलों की मौत भी हो जाती है. लिहाजा हम लोग ऐसी स्वदेशी और गैर-परंपरागत तकनीक पर विचार कर रहे हैं जो ठोस सुरक्षित सड़कें बनाने में मददगार हों और सड़कों के गड्ढों की समस्या से भी निपट सके. 


किस चीज के इस्तेमाल से सड़कें बनेंगी फौलाद


ये चीज है बिटुमेन जो एक गाढ़ा और चिपचिपा मिश्रण होता है जो डामर बजरी और रेत का एक मिश्रण को साथ बांधकर रखने में काम आता है. 


अब जानिए कि ये कैसे काम करेगी


जैसे-जैसे सड़कें पुरानी होती जाती हैं, बिटुमिन घिसता जाता है और डामर के टुकड़े खत्म होते जाते हैं. इससे छोटी-छोटी दरारें पड़ जाती हैं जो जल्द ही बड़े गड्ढों में तब्दील हो जाती हैं. जैसा कि पहले बताया है- टेक्नोलॉजी डामर को ठीक करने के लिए बिटुमेन को बनाए रखने का काम करेगी जिससे रोड में गड्ढे नहीं पड़ेंगे.


पहले सरकार को लागत का करना होगा आकलन


हालांकि ऐसी तकनीक महंगी आती है तो सरकार को इस टेक्नोलॉजी के यूज की कुल लागत का आकलन करना होगा. इसके बाद ये देखा जाएगा कि ये सड़कों की उम्र कितनी बढ़ा सकती है जिससे रोड मेंटेनेंस का खर्चा कम हो सकेगा और जो आगे चलकर ट्रैफिक को बाधित करने वाली वजहों को भी कम करेगी. 
 
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