म्यूचुअल फंड के निवेशकों के सामने अक्सर सबसे बड़ी दुविधा निवेश करने के तरीके के बारे में आती है. वे इस बात को लेकर कंफ्यूजन में रहते हैं कि उनके लिए एसआईपी फायदेमंद है या लम्पसम निवेश. कोई उन्हें एसआईपी के फायदे गिना देता है तो कोई लम्पसम को बेहतर बता देता है, जिससे उनका भ्रम और बढ़ जाता है. अगर आप भी इस तरह से कंफ्यूज होते हैं तो हम आज आपकी मदद करने वाले हैं.


क्या है एसआईपी और लम्पसम निवेश


एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए आप म्यूचुअल फंड स्कीम में किस्तों में पैसे लगाते हैं. आप एसआईपी के तहत हर महीने, तीन-तीन महीने या 6-6 महीने पर तय रकम इन्वेस्ट कर सकते हैं, जबकि लम्पसम यानी एकमुश्त विकल्प में आप अच्छी-खासी रकम एक ही बार में निवेश करते हैं. निवेश के दोनों तरीकों के अपने फायदे और नुकसान हैं. आप उन्हें अच्छे से समझ कर तय कर सकते हैं कि आपके लिए क्या बेहतर है...


नए निवेशकों के लिए ठीक है एसआईपी


म्यूचुअल फंड में एसआईपी नए निवेशकों के लिए ठीक है. यह युवा पेशेवरों, नौकरीपेशा, हाउस वाइफ और स्टूडेंट आदि के लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है. इसमें आप 500 रुपये महीने जैसी छोटी रकम से निवेश शुरू कर सकते हैं. बाद में आप धीरे-धीरे रकम बढ़ा सकते हैं. बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराने वालों के लिए यह सही ऑप्शन है. इसमें बाजार में गिरावट के दौर में ज्यादा यूनिट और तेजी के दौर में कम यूनिट मिलती है, जिससे प्रति यूनिट कॉस्ट घट जाती है.


ऐसे निवेशकों के लिए लम्पसम अच्छा


इक्विटी म्यूचुअल फंड में लम्पसम यानी एकमुश्त निवेश उनके लिए ठीक है, जिनके पास मोटी रकम है. ये पैसा बोनस, एफडी मैच्योरिटी, संपत्ति बेचने या पुश्तैनी हो सकता है. इन्हें तुरंत ठिकाने लगाने के लिए एकमुश्त निवेश अच्छा विकल्प है. इसके अलावा, जो लोग ज्यादा रिस्क लेने को तैयार हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव को सह सकते हैं, वो एकमुश्त निवेश कर सकते हैं.


लम्पसम निवेश में ज्यादा रहता है रिस्क


अगर बाजार चढ़ रहा है तो एकमुश्त निवेश एसआईपी से ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता रखता है. हालांकि सबसे मुश्किल यही पता लगाना होता है कि बाजार कब चढ़ रहा है या कब गिर रहा है. अच्छे-खासे अनुभवी ट्रेडर भी इसे पता करने में गच्चा खा जाते हैं. यही कारण है कि लम्पसम निवेश के साथ ज्यादा रिटर्न की गुंजाइश के साथ रिस्क भी ज्यादा रहता है.


एसआईपी निवेश से यहां मिलती है मदद


वहीं एसआईपी में रिस्क कम रहता है. भाव तेज होने पर आपकी यूनिट कम होंगी, लेकिन भाव नीचे आने पर यूनिट की संख्या बढ़ जाएगी. इस तरह से आपकी रूपी कॉस्ट एवरेजिंग होती जाएगी, जो अंतत: रिस्क को मैनेज करने में मददगार साबित होगा. अगर आपके पास लंबे समय का कोई लक्ष्य है, जिसके लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो ऐसे में एसआईपी आपके लिए सबसे सही विकल्प है.


डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट/म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.


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